Amalaki Ekadashi 2025: आमलकी एकादशी पर श्रीहरि विष्णु के साथ करें आंवले के पेड़ की पूजा, जानिए मुहूर्त

0

फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। बता दें कि आंवले का एक नाम आमलकी भी है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। इसलिए इसको आमलकी एकादशी कहा जाता है। दरअसल, भगवान श्रीहरि विष्णु को आंवले का पेड़ अतिप्रिय है। इस वृक्ष के हर हिस्से में श्रीहरि का वास माना जाता है।

बता दें कि आंवले के पेड़ की जड़ में भगवान श्रीहरि विष्णु, तने में भोलेनाथ और ऊपर के हिस्से में ब्रह्म देव का वास माना जाता है। वहीं इस वृक्ष की टहनियों में मुनि और देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फलों में सभी प्रजातियों का वास माना जाता है। आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं आमलकी एकादशी का मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में…

इसे भी पढ़ें: भगवान श्रीविष्णु की शक्ति से ही संचालित है संपूर्ण विश्व

मुहूर्त
आमलकी एकादशी 2025 व्रत तिथि- 10 मार्च 2025
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत- 09 मार्च 2025 को सुबह 07:45 पर
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की समाप्ति- 10 मार्च 2025 को सुबह 07:44 मिनट पर
आमलकी एकादशी व्रत पारण का समय- 11 मार्च 2025 को सुबह 06:50 मिनट से सुबह 08:13 मिनट तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- सुबह 08:13 मिनट पर
पूजा विधि
आमलकी एकादशी का दिन श्रीहरि को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। आमलकी एकादशी का व्रत करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन सुबह जल्दी स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। अब पूजाघर में श्रीहरि के सामने व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं और फिर उनको पीले वस्त्र, पीले फल-फूल और मिठाई आदि अर्पित करें।
इसके साथ ही आंवले के पेड़ को जल, फूल, फल, धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें। फिर आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें और श्रीहरि के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद आमलकी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और अंत में श्रीहरि की आरती करें। इस दिन दान-पुण्य करने से लाभ मिलता है और फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
आंवले पेड़ का महत्व
माना जाता है कि आंवले के पेड़ का स्मरण करने मात्र से ही गौदान के समान पुण्य फल मिलता है। वहीं इस वृक्ष के स्पर्श मात्र से ही किसी भी कार्य का दोगुना फल मिलता है। वहीं आंवला खाने से तीन गुना फल प्राप्त होता है। आंवले के पेड़ से जुड़ी हर चीज व्यक्ति को बहुत लाभ पहुंचाने वाली होती है।
Report: Input

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *