Ramadan 2025: जानिए रमज़ान माह में 5 वक्त की नमाज अदा करने का महत्व, मौलाना बताए इबादत करने के फायदे

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पूरे देश में रमज़ाक का पाक महीना की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान रोजे रखें जाते हैं। मुस्लिम लोग नमाज के माध्यम से अल्लाह की इबादत करते हैं। रमज़ान के महीने में प्रत्येक मुसलमान को 5 वक्त की नमाज को पढ़ना जरुरी माना गया है। इन 5 नमाजों का नाम फजरस जुहर, असर मगरिब और ईशा है। आपको बता दें कि, इन नमाजों को अलग-अलग समय पर अदा किया जाता है। 
 इतना ही नहीं, कई नफील नमाजें पढ़ी जाती है, जो अलग-अलग दिन और अलल-अलग अवसर पर अदा की जाती हैं। नमाज के माध्यम से अल्लाह पाक से अपनी गुनाहों की माफी मांगी जाती है। इसके अतिरिक्त नमाज के अंदर कई तरह की पोजीशन होती है, जो मन को शांति देने के साथ-साथ कई तरह के शारीरिक लाभ भी मिलता है। गौरतलब है कि नमाज अदा करते समय सबसे पहले साफ-सुथरे कपड़े पहनकर, हाथ-मुंह व पैर धुल कर किया जाता है।
क्यों 5 बार अदा की जाती नमाज?
इस्लाम में 5 स्तंभ या फर्ज माने गए हैं। जिन्हें अमल करना हर मुस्लिम के लिए जरुरी होता है। नमाज अदा करते समय इंसान अल्लाह के सबसे करीब माना जाता है। रमज़ान के महीने में सबसे पहले दिन की शुरुआत यानी के सुबह की नमाज को फजर कहा जाता है। सूरज निकलने से पहले फजर की नमाज पढ़ी जाती है। इस नमाज में सिर्फ 4 रकत नमाज होती हैं, जिसमें 2 रकात सुन्नत नमाज और 2 रकात फर्ज नमाज होती है। दिन की दूसरी नमाज को जुहर की नमाज कहा जाता है। इसमें पूरे 12 रकात नमाज होती हैं, जिसमें 4 सुन्नत नमाज , 4 फर्ज नमाज , 2 सुन्नत और 2 नफ्ल नमाज होती है।
कब पढ़ी जाती है तीसरी और चौथी नमाज?
तीसरी नमाज में दोपहर में पढ़ी जाती है, जिसे असर नमाज कहा जाता है। यह दिन के लगभग सूरज ढ़लने से पहले पढ़ी जाती है। असर की नमाज में 4 सुन्नत और 4 फर्ज नमाज पढ़ी जाती है। वहीं, इस्लाम की चौथी नमाज मगरिब की नमाज है, जो दिन के आखिरी हिस्से से पहले पढ़ी जाती है। मगरिब की नमाज को सूरज ढ़लने के बाद पढ़ी जाती है। इस नमाज में 3 फर्ज जैसे कि 2 सुन्नत और 2 नफ्ल नमाज होती है।
रमजान में पढ़ी जाती है तरावीह की नमाज
मौलाना लाल मोहम्मद सिद्धिकी के मुताबिक, इस्लाम की पांचवी और आखिरी नमाज ईशा की नमाज होती है। ईशा की नमाज में 17 रकात होती है। इसके बाद रमजान के माह में लोग तरावीह की नमाज भी पढ़ते हैं, जो रमज़ान के पाक महीने में हर मुस्लिम को 5 वक्त की नमाज को अदा करने का फर्ज निभाना चाहिए, ताकि अल्लाह की इबादत आप कर सके। तरावीह की नमाज एक खास तरह की नमाज होती है, जो माह ए रमजान के मुबारक महीने में अदा की जाती है। 
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