Falgun Chaturthi 2025: फाल्गुन विनायक चतुर्थी व्रत से सुखों में होती है बढ़ोत्तरी

0
आज फाल्गुन विनायक चतुर्थी व्रत है, सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है, इससे जीवन में सुखों की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है और भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं, तो आइए हम आपको फाल्गुन विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 
जानें फाल्गुन विनायक चतुर्थी के बारे में
प्रत्येक महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा की जाती है। किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता माना जाता है। ऐसे में इस दिन भगवान श्री गणेश की उपासना के लिए बहुत ही शुभ और फलदायी होता है। फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी का व्रत 3 मार्च 2025 को रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश को दुर्वा, फूल, लड्डू और मोदक अर्पित करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी के इस स्त्रोत का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। विनायक चतुर्दशी के शुभ मौके पर भगवान गणेश की पूजा आराधना करने से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है।

इसे भी पढ़ें: Holashtak 2025: होलाष्टक में फैलती है नकारात्मक ऊर्जा… पूजा-पाठ का विशेष महत्व

इस दिन महादेव के पुत्र गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसे में आप विनायक चतुर्थी पर ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र का पाठ करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र का पाठ करने से रुका हुआ धन मिलता है और मन शांत होता है। साथ ही कारोबार में खूब वृद्धि होती है। इस दिन भगवान गणेश को दुर्वा, फूल, लड्डू और मोदक अर्पित करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी के इस स्त्रोत का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है।
फाल्गुन विनायक चतुर्थी 2025 का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि- 03 मार्च 2025 को शाम 6 बजकर 3 मिनट तक
शुक्ल योग- 03 मार्च 2025 को सुबह 8 बजकर 57 मिनट तक शुक्ल योग रहेगा, उसके बाद ब्रह्म योग लग जाएगा
अश्विनी नक्षत्र- 02 मार्च 2025 को पूरा दिन पार कर भोर 4 बजकर 30 मिनट तक
03 मार्च  2025 व्रत-त्यौहार- वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत
फाल्गुन विनायक चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा 
विनायक चतुर्थी के दिन पूजा करने के लिए जातक सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि कर साफ कपड़े पहनें इसके बाद व्रत का संकल्प लें। फिर घर के मंदिर में भगवान गणेश को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर भगवान गणेश को फिर पंचामृत से स्नान कराएं उसके बाद साफ जल से स्नान कराएं। भगवान गणेश को चंदन, रोली, कुमकुम और फूलों से श्रृंगार करें। फिर उन्हें लड्डू, मोदक का भोग लगाएं। फिर भगवान गणेश के विभिन्न मंत्रों का जप करें जैसे- ॐ गं गणपतये नमः और ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा। इसके बाद व्रत कथा का पाठ और भगवान गणेश की आरती कर पूजा संपन्न करें। पंडितों के अनुसार फाल्गुन विनायक चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए। जलाभिषेक करना चाहिए और भगवान गणेश को पुष्प फल और पीला चंदन अर्पित करना चाहिए। तिल का लड्डू अथवा मोदक का भोग लगाना चाहिए। भगवान गणेश की अमोघ मित्रों का जाप करना चाहिए और उसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करनी चाहिए।
फाल्गुन विनायक चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कथा 
फाल्गुन विनायक चतुर्थी की व्रत कथा के मुताबिक, भगवान शिव और माता पार्वती ने नर्मदा नदी के किनारे चौपड़ खेल रहीं थीं। इस खेल में हार-जीत का फ़ैसला करने के लिए भगवान शिव ने घास-फ़ूस से एक बालक बनाया था और इस बालक को उन्होंने प्राण दिए थे। चौपड़ खेलते समय तीन बार माता पार्वती जीत गईं। लेकिन जब बालक से हार-जीत का फ़ैसला करने को कहा गया, तो उसने भगवान शिव को विजयी बताया। इससे माता पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। बालक ने माफ़ी मांगी, लेकिन माता पार्वती ने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता। बालक ने भगवान गणेश से प्रार्थना की और कहा कि उन्हें इतनी शक्ति दें कि वे अपने पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर जा सकें। भगवान गणेश ने बालक को वरदान दे दिया। बालक ने कैलाश पर्वत पर जाकर अपनी कथा भगवान शिव को सुनाई। वहीं, माता पार्वती ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए 21 दिन तक गणपति बप्पा का व्रत किया। इससे भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उस बालक को श्राप से मुक्त किया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाद में यह व्रत भगवान शिव ने भी किया। चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें, इसके बाद व्रत का पारण करें और क्षमा प्रार्थना करें।
– प्रज्ञा पाण्डेय
Report: Input

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *