Yashoda Jayanti 2025: यशोदा जयंती व्रत से संतान होती है दीर्घायु
आज यशोदा जयंती है, हिंदू धर्म में यशोदा जयंती बड़ी पावन और विशेष मानी गई है। इस दिन व्रत के साथ ही माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण के पूजन का विधान है, तो आइए हम आपको यशोदा जयंती का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें यशोदा जयंती के बारे में
यशोदा जयंती मां यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। मां यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण का पालन-पोषण किया था, यशोदा जंयती के दिन व्रत के साथ ही मां यशोदा और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विधान है। यशोदा जयंती का व्रत महिलाओं के लिए बड़ा ही विशेष माना जाता है।
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हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यशोदा जंयती के दिन व्रत और पूजन करने से महिलाओं को मातृत्व का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से संतान की उम्र लंबी होती है। यशोदा जयंती के दिन व्रत और पूजन से जीवन के दुख दूर होते हैं और सुख-शांति का वास बना रहता है।
यशोदा जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है, माता यशोदा ने भगवान विष्णु की कठिन तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। माता यशोदा ने उनसे कहा कि हे भगवान, मेरी इच्छा है कि आप मेरे पुत्र के रूप में मेरे घर में जन्म लें। भगवान विष्णु ने उनकी बात सुनकर कहा कि हे माता, आपकी यह मनोकामना अवश्य पूरी होगी। आने वाले समय में मैं वासुदेव और देवकी के यहां जन्म लूंगा, परंतु मेरा पालन-पोषण आप ही करेंगी। समय आने पर भगवान कृष्ण ने देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया। उस समय कंस नाम का एक अत्याचारी राजा राज्य कर रहा था। वह देवकी और वासुदेव की संतानों को मार डाला था। इसलिए वासुदेव भगवान कृष्ण को नंद और यशोदा के घर में छोड़ आए। माता यशोदा ने भगवान कृष्ण का पालन-पोषण किया। उन्होंने उन्हें प्यार से बड़ा किया और उन्हें सभी प्रकार की शिक्षाएं दीं। भगवान कृष्ण ने भी माता यशोदा को बहुत प्यार दिया। उन्होंने उनके साथ अनेक लीलाएं कीं और उन्हें हमेशा आनंदित रखा। श्रीमद्भागवत में वर्णन है कि भगवान कृष्ण की जो कृपा माता यशोदा को प्राप्त हुई, वैसी कृपा न तो ब्रह्मा जी, शिव जी और न ही मां लक्ष्मी को प्राप्त हुई। माता यशोदा ने भगवान कृष्ण को अपने पुत्र के रूप में पाकर जो सुख और आनंद प्राप्त किया, वह अवर्णनीय है।
यशोदा जयंती का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, यशोदा जयंती फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि की 18 फरवरी को तड़के सुबह 4 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 19 फरवरी को सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल यशोदा जयंती 18 फरवरी को मनाई जाएगी। इसी दिन इसका व्रत भी रखा जाएगा।
यशोदा जंयती पर ये करें, मिलेगा लाभ
यशोदा जयंती के दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए, फिर साफ वस्त्र पहनने चाहिए। इस दिन व्रत रखने से पहले व्रत का सकंल्प लेना आवश्यक माना जाता है। यशोदा जयंती के दिन व्रत रखने से पहले तुलसी पूजन करना चाहिए। फिर घर के मंदिर में माता यशोदा और भगवान कृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर रखनी चाहिए। माता यशोदा और भगवान कृष्ण सामने दीपक जलाना चाहिए। विधि पूर्वक माता माता यशोदा और भगवान कृष्ण का पूजन करना चाहिए। पूरा दिन व्रत रखना चाहिए, शाम के समय पूजा के बाद फलाहार करना चाहिए।
यशोदा जयंती के दिन ऐसे करें पूजा
यशोदा जयंती के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर मां यशोदा का ध्यान करें। इसके बाद पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें, फिर साफ वस्त्र धारण करें। फिर आचमन करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं, उस पर माता यशोदा और श्री कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर रखें। पूजा के दौरान रोली, चंदन, फूल, दूर्वा, सिंदूर और अक्षत आदि चढ़ाएं। माता यशोदा और श्री कृष्ण के समाने घी का दिया जलाएं। मां यशोदा को फल, हलावा और मिठाई का भोग लगाएं, बाल गोपाल को माखन और मिश्री का भोग लगाएं। भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करें। अंत में मां यशोदा और बाल गोपाल की आरती करके पूजा का समापन करें।
यशोदा जंयती पर ये न करें
पंडितों के अनुसार यशोदा जयंती व्रत बहुत खास होता है इसलिए यशोदा जयंती के दिन व्रत में भूलकर भी अन्न नहीं खाना चाहिए, इस दिन तामसिक भोजन और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन किसी को भी अपशब्द नहीं कहने चाहिए और इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए।
ऐसे पूरा करें यशोदा जयंती का व्रत
यशोदा जयंती के दिन पूजा-पाठ करना चाहिए. व्रत में ताजे फल, दूध, दही, नारियल पानी, कट्टू के आटे से बने फलहारी भोजन, मखाने, खीरा, कम घी में बने आलू, साबूदाना की खिचड़ी या खीर और सवां के चावल की खीर या खिचड़ी खाई जा सकती है। शाम के समय विधि-पूर्वक माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण का पूजन करना चाहिए। इसके बाद फलाहार करना चाहिए और अगली सुबह स्नान के बाद पूजन करते व्रत का पारण करना चाहिए, इस तरह से यशोदा जयंती का व्रत पूरा हो जाता है।
यशोदा जयंती व्रत में ऐसे करें पारण
इस दिन व्रत में पूजन के बाद ताजे फल, दूध, दही, नारियल पानी, कट्टू के आटे से बने फलहारी भोजन, मखाने, खीरा, आलू, साबूदाना की खिचड़ी या खीर और सवां के चावल की खीर या खिचड़ी खा सकते हैं। व्रत के पारण की बात करें तो 19 फरवरी को सुबह स्नान के बाद पूजा-पाठ करके व्रत का पारण किया जा सकता है।
– प्रज्ञा पाण्डेय