एक देश-एक चुनाव पर आगे बढ़ी मोदी सरकार, जानें क्या देश में एक साथ होंगे चुनाव?
- लोकसभा में बिल पेश
संसद में आज मोदी सरकार ने एक देश एक चुनाव का विधेय़क पेश कर दिया है। लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में वन नेशन-वन इलेक्शन से जुड़ा बिल सदन के पटल पर रखा। बिल को लोकसभा में वोटिंग हुई जिसमें बिल के समर्थन में 269 और विपक्ष में 198 मत पड़े।
बिल को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की बात कही। उन्होंने कहा कि बिल पर विस्तृत चर्चा के लिए जेपीसी को भेजना चाहिए, वहीं कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने बिल को संविधान विरोध बिल बताते हुए इसे देश के संघात्मक ढ़ांचा पर हमला बताया।
वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थन में क्यों भाजपा?-वन नेशन-वन इलेक्शन का वादा भाजपा ने लोकसभ चुनाव में अपने संकल्प पत्र में किया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पिछले दिनों मोदी सरकार के 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कह चुके है कि सरकार इसकी कार्यकाल में एक देश-एक चुनाव को लागू करेंगे। आखिर मोदी सरकार क्यों एक देश-एक चुनाव का समर्थन कर रही है इसको लेकर जहां मोदी सरकार के मंत्री कई तर्क देते है लेकिन इसके पीछे सियासी फायदा-नुकसान भी है।
एक देश-एक चुनाव लागू होने के बाद लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव होंगे, जिसका सीधा फायदा भाजपा को होने की संभावना है। 2014 के बाद राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजें बताते है कि जिन राज्यों में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव हुए है वहां पर भाजपा की जीत दर्ज हुई है। दरसल भाजपा विधानसभा चुनाव भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ती आई है,इसमें पिछले साल हुए मध्यप्रदेश,राजस्थान, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ हाल में हुए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे है, जिसमें भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज की है।
दरअसल चुनाव में भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी एक ऐसा चेहरा है जिसका तोड़ आज भी विपक्ष ढूंढ नहीं पाया है, इसलिए विपक्ष खासकर क्षेत्रीय दल एक देश-एक चुनाव का विरोध कर रहे है। क्षेत्रीय पार्टियों का अपने राज्य में खासा वजूद है, जैसे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और दिल्ली में आम आदमी पार्टी। क्षेत्रीय दलों की विधानसभा चुनाव में कोशिश होती है कि चुनाव स्थानीय मुद्दों पर हो लेकिन भाजपा की कोशिश होती है विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर हो।
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मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री शिवराज सिंह चौहान वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए कहा कि यह आज देश की आवश्यकता है। बार-बार होने वाले चुनावों से देश की प्रगति और विकास कार्य प्रभावित होते हैं। आजादी के बाद कई वर्षों तक एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते रहे लेकिन कांग्रेस ने अपने स्वार्थ के लिए विधानसभाओं को भंग करना शुरू कर दिया और देश को बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रियाओं में उलझा दिया। कांग्रेस तो संवैधानिक नियमों और प्रक्रियाओं का निरंतर उल्लंघन करती रही है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते हैं तो बार-बार आचार संहिता नहीं लगेगी और विकास कार्य निरंतर चलते रहेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री जी की ऊर्जा और समय की बचत होगी। राजनैतिक दल हमेशा चुनावी मोड में रहते हैं, इसमें कमी आएगी। मंत्री, मुख्यमंत्री एवं राजनेताओं का समय भी चुनाव की जगह विकास कार्यों में लग सकेगा। एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने से नए लोगों को अवसर मिल सकेगा। बार-बार चुनाव के कारण लोक लुभावने वादों की प्रतिस्पर्धा भी समाप्त होगी। देश का और पार्टियों का चुनाव खर्च भी कम होगा। प्रशासनिक अधिकारी, सुरक्षा बल,डॉक्टर्स, शिक्षक एवं अन्य कर्मचारियों को बार-बार चुनाव में लगने वाली ड्यूटी से मुक्ति मिलेगी और वे अपने कार्य में निरंतरता रख पाएंगे।
एक देश-एक चुनाव के विरोध में विपक्ष?-लोकसभा में एक देश एक चुनाव से जुड़ा विधेयक पेश होने के बाद विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है। एक देश-एक चुनाव का विरोध कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी के साथ उद्धव ठाकरे की शिवसेना, आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम ने किया है।
एक देश-एक चुनाव का विधेयक लोकसभा में पेश होने के बाद समाजवादी पार्टी ने विधेयक का विरोध किया है। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने विधेयक को मुसलमान विरोधी बताते हुए कहा कि सरकार संघीय ढांचे को तोड़ने के लिए बिल लाए हैं। यह बिल पूरे देश की एकता में अनेकता पर प्रहार करने वाला है। यह विधेयक संघीय ढांचे पर प्रहार करने वाला है। धर्मेंद्र यादव ने कहा कि अभी दो दिन पहले संविधान की गौरवशाली परंपरा को बचाने, उसकी कसमें खाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।
सपा सांसद ने तंज कसते हुह कहा कि जो लोग आठ विधानसभा सीटों का चुनाव नहीं करा पाते, मौसम देखकर तारीख बदलते हैं, वो लोग एक देश एक चुनाव की बात करते है। चार राज्यों का चुनाव एक साथ नहीं करा पाए, वह लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव कराना चाहते हैं, क्या अगर किसी राज्य में कोई सरकार गिरती है तो क्या पूरे देश में दोबारा चुनाव होंगे। वहीं एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने किया वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध करते हुए कहा कि यह संघीय ढांचे पर हमला. यह राजनीतिक लाभ लेने के लिए लाया गया है।
वहीं आम आदमी पार्टी भी एक देश एक चुनाव के विरोध में खुलकर आ गई है। पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि ये इस तरह संविधान को ही ख़त्म कर देंगे. इसको लाकर ये लोग कोशिश कर रहे है कि आगे चुनाव ही ख़त्म कर दे. इस देश में चुनाव ख़त्म हो जाएगा।
एक देश-एक चुनाव से जुड़ा विधेयक पास कराने की चुनौती- संसद से मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती एक देश-एक चुनाव का बिल पास कराने की है। आज लोकसभा में बिल पर हुई वोटिंग के बाद कांग्रेस ने दावा किया कि सरकार इस पर तिहाई बहुमत नहीं हासिल कर सकी। गौरतलब यह बिल संविधान संशोधन से जुड़ा हुआ है। संविधान संशोधन से संबंधित बिल को पास कराने के लिए सदन में दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है। लोकसभा में 543 सदस्यों के लिहाज से दो तिहाई का आंकड़ा 362 होता है। लेकिन लोकसभा के मौजूदा समीकरण के मुतातबिक मोदी सरकार के पास अभी इस बहुमत को पाना कड़ी चुनौकी है। सदन में एनडीए के 291, इंडिया गठबंधन के 234 और अन्य दलों के 18 सदस्य हैं। वहीं राज्यसभा में अभी कुल 231 सदस्य हैं, जिसमें दो तिहाई का आंकड़ा 154 होता है। इस सदन में 6 नामित समेत एनडीए के 118, इंडिया ब्लॉक के 85 और अन्य दलों के 34 सदस्य हैं।