Budh pradosh Vrat 2024: बुध प्रदोष व्रत से साधक को मिलती है समृद्धि

0
आज बुध प्रदोष व्रत है, सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को शिव जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम व्रत माना गया है। ये व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। भगवान शिव को त्रयोदशी तिथि बहुत ही प्रिय है, इसलिए प्रदोष व्रत करने से साधक को शिव जी खास कृपा प्राप्त होती है, तो आइए हम आपको बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में बताते हैं। 
जानें बुध प्रदोष व्रत के बारे में 
प्रदोष व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान शिव को अति प्रिय है। यह प्रत्येक माह में दो बार आता है। इस बार यह व्रत 13 नवंबर को रखा जाएगा। यह कार्तिक मास का आखिरी प्रदोष है। ज्योतिष की दृष्टि से प्रदोष का खास महत्व है। इस दिन उपवास रखने और सच्ची श्रद्धा के साथ शिव परिवार की आराधना करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन सुखी रहता है। प्रदोष व्रत का दिन अपने आप में शुभ होता है। यह दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन व्रत रखने से सुख-शांति, सफलता और समृद्धि जीवन की प्राप्ति होती है। प्रदोष का शाब्दिक अर्थ है – अंधकार को दूर करना। पंडितों के अनुसार इस व्रत का पालन करने से साधक के सभी दुखों का अंत होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखकर प्रदोष काल में विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। 

इसे भी पढ़ें: Kartik Maas Katha 12 Adhyay: कार्तिक मास व्रत कथा के 12वें अध्याय का पाठ करने से जीवन के दुखों का होता है अंत

बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी की शुरुआत 13 नवंबर दोपहर 01 बजकर 01 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 14 नवंबर सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत बुधवार 13 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन का पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।
बुध प्रदोष व्रत के दिन ऐसे करें पूजा 
पंडितों के अनुसार बुध प्रदोष व्रत का खास महत्व है, इसलिए सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। भगवान शंकर और माता पार्वती के समक्ष व्रत का संकल्प लें। एक वेदी पर शिव परिवार की प्रतिमा विराजमान करें। गंगाजल से प्रतिमा को स्नान करवाएं और उन्हें अच्छी तरह साफ करें। देसी घी का दीपक जलाएं और कनेर, मदार और आक के फूलों की माला अर्पित करें। शिव जी को सफेद चंदन का त्रिपुंड लगाएं। उन्हें खीर, हलवा, फल, मिठाइयों, ठंडई, लस्सी आदि का भोग लगाएं। प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें, पंचाक्षरी मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें। प्रदोष पूजा शाम के समय ज्यादा शुभ मानी जाती है, इसलिए प्रदोष काल में ही पूजा करें। अगले दिन अपने व्रत का पारण करें। साथ ही तामसिक चीजों से परहेज करें।
बुध प्रदोष व्रत का महत्व
बुध प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और बुध प्रदोष व्रत करने से भगवान भोलेनाथ आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। बुध प्रदोष व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति के संकट दूर होते हैं, दुख, कष्ट और पाप का नाश होता है और बुध प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है।
बुध प्रदोष के दिन जरूर करें इन नियमों का पालन
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ देकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें, इसके बाद ही अपना उपवास खोलें।
बुध प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा
प्राचीन समय में विदर्भ में एक ब्राह्मणी पति के निधन के बाद भिक्षा मांग कर जीवन बिता रही थी। एक दिन संध्याकाल में घर लौटते समय उसे दो बच्चे खेलते हुए नजर आए। बच्चों को अकेला देख ब्राह्मणी उन्हें अपने घर ले आई। दोनों बच्चे ब्राह्मणी का प्रेम पाकर बहुत प्रसन्न हो गए। समय के साथ बच्चे बड़े होते गए और ब्राह्मणी के काम में हाथ भी बंटाने लगे। बच्चों के बड़े हो जाने पर ब्राह्मणी ने ऋषि शांडिल्य के पास जाकर उन्हें सारी बातें बताई। ऋषि शांडिल्य अपनी दिव्य शक्ति से दोनों बच्चों का भविष्य जान गए और बोले, ये दोनों बालक विदर्भ के राजकुमार हैं। आक्रमण के कारण इनका राजपाट छीन गया है। जल्द ही इन्हें खोया हुआ राज्य प्राप्त होगा। इसके लिए तुम प्रदोष व्रत अवश्य करो और संभव हो तो बच्चों को व्रत रखने की सलाह दो। वृद्ध ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने लगी। उन्हीं दिनों बड़े लड़के की मुलाकात एक राजकुमारी से हुई और दोनों प्रेम करने लगे। यह जानकारी राजा को हुई तो राजा ने विदर्भ राजकुमार से मिलने की इच्छा जताई और दोनों का विवाह कर दिया। दोनों राजकुमारों ने अंशुमति के पिता की मदद से विदर्भ पर आक्रमण कर दिया और अपना राज्य वापस प्राप्त कर लिया। राजकुमारों ने वृद्ध ब्राह्मणी को मां का दर्जा दिया और नियमित रूप से प्रदोष व्रत रखने लगे।
बुध प्रदोष व्रत रखने से होते हैं ये फायदे
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत को भगवान शिव की कृपा पाने का एक उत्तम साधन माना गया है। इस व्रत से भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और उनके सभी दुखों को दूर करते हैं। प्रदोष व्रत का पालन करने से समृद्धि- साहस बढ़ता है और भय से मुक्ति मिलती है। अगर आपके जीवन में किसी भी तरह कोई परेशानी है, तो आपको प्रदोष व्रत जरूर रखना चाहिए। स्कंद पुराण, शिव पुराण और अन्य धर्म ग्रंथों में प्रदोष व्रत की महिमा का उल्लेख किया गया है। प्रदोष व्रत का महत्व इस प्रकार है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और जीवन के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
बुध प्रदोष व्रत का महत्व
शिव पुराण में प्रदोष व्रत के महत्व के बारे में बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत सबसे उत्तम माना जाता है। इसका व्रत करने से और विधिवत भगवान शिव की प्रदोष काल में उपासना करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत करने से साधक को हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है।
– प्रज्ञा पाण्डेय

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *