महंगाई भत्ता की मांग को लेकर सड़क पर उतरे कर्मचारी
- DA के मामले में केंद्र से 7% पीछे
मध्यप्रदेश में महंगाई भत्ता (DA ) और महंगाई राहत (DR) की मांग को लेकर अब कर्मचारी संगठन अब सड़क पर उतर आए है। मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा सहित कई संगठनों ने शुक्रवार को मंत्रालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों की मांग है कि प्रदेश सरकार तत्काल डीए पर फैसला लें। उन्होंने कहा मध्यप्रदेश के सरकारी अधिकारी कर्मचारी केंद्र की तुलना में डीए के मामले 7 फीसदी पीछे रहे गए है।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा भोपाल के अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी ने कहा कि 7 फीसदी महंगाई भत्ता और महंगाई राहत जनवरी 2024 से 4 फीसदी और जुलाई 2024 से 3 फीसदी प्रतिशत एरियर सहित पाने के लिए,अनुकंपा नियुक्ति में सीपीसीटी समाप्त करने,लिपिको की ग्रेड पे में विसंगति दूर कर मंत्रालय के समान करने,पदोन्नति शुरू करने,सातवें वेतनमान के अनुसार वाहन एवं गृह भाड़ा भत्ता देने,संविदा कर्मी स्थाई कर्मी नियमित करने आउटसोर्स प्रथा बंद करने को लेकर सतपुड़ा भवन भोपाल पर मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चे में शामिल समस्त संगठनों व पदाधिकारी एवं विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगाई है।
उमाशंकर तिवारी का कहना है कि एक तरफ जहां प्रदेश के 12 लाख कार्यरत और सेवानिवृत कर्मचारियों को 4% महंगाई भत्ता एवं महंगाई राहत 10 महीने से नहीं दी जा रही है जबकि उसमें महीने का लगभग 250 करोड रुपए खर्च आएगा। वहीं प्रदेश की लाडली बहनों को 1250 रुपए प्रतिमाह दिए जा रही है इसमें 1574 करोड रुपए हर महीने सरकार प्रदान कर रही है।
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कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की है कि त्योहारों में कर्मचारियों के परिवारों पर अतिरिक्त खर्च आ जाता है। ऐसे में कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाए। वह कहते हैं कि 7 फीसदी महंगाई भत्ता मिलने से कर्मचारियों को आर्थिक मजबूती मिलेगी। ऐसे में कर्मचारियों की उम्मीद है कि सरकार उनकी सुध लेगी लेकिन हर कैबिनेट की बैठक के बाद उन्हें निराशा हाथ लगती है, जबकि सरकार ने कई अवसरों पर कहा है कि केंद्र के समान ही महंगाई भत्ता राज्य के कर्मचारियों को मिलेगा लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है।
जिले के पेंशन कार्यालय बंद का विरोध : इसके साथ उमाशंकर तिवारी ने जिलों में स्थित पेंशन कार्यालय बंद करने की जानकारी मिलने पर कहा कि ऐसा होने से प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को भविष्य में भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा वर्तमान में कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के बाद अपनी समस्याओं का समाधान हेतु कर्मचारी जिले में स्थित पेंशन कार्यालय में अपनी समस्याओं का निराकरण करा लेते हैं बड़ी समस्या होने पर भोपाल आना पड़ता है लेकिन जब पेंशन कार्यालय जिलों में बंद हो जाएंगे तो हर समस्या के लिए भोपाल आना पड़ेगा जिससे अनावश्यक समय और पैसा बर्बाद होने के साथ वरिष्ठ जन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।