विधायक अंबा प्रसाद ने विधानसभा में ठेका प्रथा में चल रही व्यावसायिक (वोकेशनल) शिक्षा को खत्म कर नियमित करने का उठाया मामला
- राज्यों को व्यवसायिक शिक्षा संचालक एवं प्रशिक्षकों की नियुक्ति संबंधित दिशा निर्देश में प्रशिक्षकों की नियुक्ति राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा सीधी भर्ती करने
- अथवा राज्य के शिक्षा विभाग सेवा प्रदाता कंपनी के माध्यम से प्रशिक्षकों की नियुक्ति करने का आदेश प्राप्त
झारखण्ड/राँची: बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने मानसून सत्र के दौरान ठेका प्रथा में चल रही व्यावसायिक शिक्षा को खत्म कर नियमित करने के मामले को सदन पटल पर रखा।
इस दौरान उन्होंने सदन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से प्रश्न करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित व्यावसायिक शिक्षा का संचालन झारखंड में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण सहयोगियों के सहयोग से कराया जा रहा है जो वर्ष 2015-16 से संचालित है व वर्तमान में राज्य के 446 सरकारी प्लस टू विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा जारी है वहीं राज्य के सरकारी प्लस टू विद्यालय में कार्यरत प्रशिक्षकों की नियुक्ति इकरारनामा के आलोक में आउटसोर्सिंग के माध्यम से हुई है।
जबकि केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा राज्यों को व्यवसायिक शिक्षा संचालक एवं प्रशिक्षकों की नियुक्ति संबंधित दिशा निर्देश में प्रशिक्षकों की नियुक्ति राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा सीधी भर्ती करने अथवा राज्य के शिक्षा विभाग सेवा प्रदाता कंपनी के माध्यम से प्रशिक्षकों की नियुक्ति करने का आदेश प्राप्त है।
उन्होंने व्यवसायिक प्रशिक्षकों के नियमित नहीं होने के कारण होने वाले परेशानियों का उल्लेख करते हुए बताया कि व्यावसायिक प्रशिक्षक ठेका प्रथा होने के कारण मानदेय के भुगतान में काफी दिक्कत होती है वही 2018-19 से अब तक मानदेय में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
विधायक ने सरकार से देश के अन्य राज्यों के व्यावसायिक शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन करते हुए नई शिक्षा नीति 2020 में व्यावसायिक शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए व्यावसायिक शिक्षा को ठेका प्रथा से मुक्त करने की मांग की।