क्या अनुबंधकर्मियों को नियमित करने जा रही हेमंत सरकार? जानें विधायक बिरंची नारायण के सवाल पर क्या मिला उत्तर
झारखण्ड/राँची: राज्य में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सत्ता संभालने के बाद से ही अनुबंधकर्मियों को नियमित करने की मांग पुनः शुरू हो गई है। कर्मियों का कहना है कि चुनाव में हेमंत सोरेन ने सत्ता में आने के बाद सभी को नियमित करने का वादा किया था। सरकार का कार्यकाल पूरा होने में कुछ ही महीने शेष रह गए हैं।
वहीं अब भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने 29 जुलाई, 2024 ने यह सवाल उठाया है।
विधायक ने सरकार से पूछा कि क्या यह बात सही है कि बोकारो समेत राज्यभर में विभिन्न संविदाकर्मी जैसे पारा शिक्षक, सहायक पुलिस, होमगार्ड, पारा मेडिकल कर्मी, सेविका सहायिका रसोईया, कम्प्यूटर ऑपरेटर, इत्यादि आंदोलनरत हैं। नरेंद्र कुमार तिवारी एवं अन्य बनाम झारखंड सरकार और अन्य में पारित आदेश एवं झारखंड सरकार द्वारा वर्ष 2015 में गठित रेगुलराइजेशन पॉलिसी, को 2019 में सरकार ने संशोधित किया था। इसके आधार पर 10 वर्षों से अधिक समय से लगातार अनुबंध पर कार्यरत लोग अपने को परमानेंट करने के साथ वेतनमान की मांग कर रहें हैं।
- क्या मिला जवाब
सरकार ने जवाब में कहा कि राज्य अन्तर्गत संविदा आधारित विभिन्न पदों यथा, पारा शिक्षक, सहायक पुलिस, होमगार्ड, पारा मेडिकल कर्मी, सेविका सहायिका रसोईया, कम्प्यूटर ऑपरेटर, इत्यादि पदों पर अनुबंध के आधार पर नियुक्ति की कार्रवाई संबंधित पदों के लिए अनुबंध के लिए विहित प्रावधानों के तहत की जाती है।
प्रावधानित / विहित अनुबंध की शर्तों के आलोक में संबंधित कर्मियों को मानदेय आदि का भुगतान किया जाता है। कार्मिक विभाग द्वारा झारखंड सरकार के अधीनस्थ अनियमित रूप से नियुक्त एवं कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमितीकरण नियमावली, 2015 (यथा संशोधित 2019)’ अधिसूचित किया गया है।
उक्त नियमावली के प्रावधानों के आलोक में संबंधित विभागों द्वारा नियमानुसार योग्य कर्मियों की सेवा नियमितीकरण की कार्रवाई की जाती है।
विधायक ने पूछा कि यदि उपर्युक्त खंडों के उत्तर स्वीकारात्मक है तो क्या सरकार व्यापक जनहित में तत्काल कंडिका-1 में वर्णित अनुबंधकर्मियों को परमानेंट कराने का विचार रखती है। हां, तो कब तक, नहीं तो क्यों?
इसका साफ-साफ जवाब देने के बजाए सरकार ने कहा कि उपर्युक्त खंड में स्थिति स्पष्ट कर दी गयी है।