क्या ताजमहल असल में तेजोमहालय है? सावन में जलाभिषेक के लिए याचिका दर्ज़
आगरा की एक अदालत में याचिका दायर कर विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के तेजोमहालय होने का दावा किया गया है। योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने सावन माह में ताजमहल में जलाभिषेक की अनुमति देने का अनुरोध भी किया है।
अदालत ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। इसमें प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. राजकुमार पटेल को बनाया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील शिव आधार सिंह तोमर ने अदालत में अपना पक्ष रखा। वकील ने दावा किया कि तेजोमहालय हिंदू मंदिर है, जहां सावन के महीने में जलाभिषेक होना चाहिए। सुनवाई के बाद, न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने प्रतिवादी को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
किसने बनवाया ताजमहल : ताजमहल को दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल किया गया है। हालांकि इस बात को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने बनवाया है या फिर किसी और ने। भारतीय इतिहास के पन्नों में यह लिखा है कि ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज के लिए बनवाया था। दुनिया भर में ताजमहल को प्रेम का प्रतीक माना जाता है, लेकिन कुछ इतिहासकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनका मानना है कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया था वह तो पहले से बना हुआ था। उसने इसमें हेर-फेर करके इसे इस्लामिक लुक दिया।
क्या तेजो महालय है ताजमहल : इतिहासकार पुरुषोत्त ओक ने अपनी किताब में लिखा है कि ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने के कई सबूत मौजूद हैं। सबसे पहले यह कि मुख्य गुम्बद के किरीट पर जो कलश वह हिन्दू मंदिरों की तरह है। यह शिखर कलश आरंभिक 1800 ईस्वी तक स्वर्ण का था और अब यह कांसे का बना है।
आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है। यह हिन्दू मंदिरों के शिखर पर भी पाया जाता है। इस कलश पर चंद्रमा बना है। अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो कि हिन्दू भगवान शिव का चिह्न है। इसका शिखर एक उलटे रखे कमल से अलंकृत है। यह गुम्बद के किनारों को शिखर पर सम्मिलन देता है। पीएन ओक के अनुसार, ताजमहल को पहले ‘तेजो महालय’ कहते थे।