मन में जिद थी इसलिए लंदन से पटना आकर किया छठ
पटना के कदम कुआं निवासी पारिजात सिन्हा छठ करने लंदन से पटना आ गए। लंदन में साढ़े बारह बजे लॉकडाउन हो रहा था और उसी दिन साढ़े आठ बजे इन्होंने फ्लाइट पकड़ी। कोरोना में छठ के लिए पटना आना मुश्किल था, लेकिन मन में छठ की आस्था थी जो जिद में बदल गई।
पटना में ही जन्म हुआ
पारिजात की उम्र 37 साल है और वे 13 साल से लंदन में रह रहे हैं। वे वहां बिजनेस एनालिस्ट हैं। पटना में ही जन्म हुआ और यहीं के सेंट माइकल स्कूल से पढ़ाई की। वे खुद छठ करते हैं। पिछले साल जब वे भागलपुर जा रहे थे तो अचानक ख्याल आया कि छठ व्रत करें। भाभी को फोन किया और फिर छठ करना शुरू कर दिया। कदम कुआं में पारिजात के पिता शरत कुमार सिन्हा और मां आरती सिन्हा रहती हैं। मां हमेशा से छठ व्रत करना चाहती थीं पर कर नहीं पाईं। इसलिए पारिजात के छठ करने से सबसे ज्यादा खुशी मां को हो रही है। पारिजात ने अपने भइया-भाभी के यहां छठ किया जो आशियाना में रहते हैं। इस दौरान यहां सारा परिवार इकट्ठा हुआ था।
गंगा घाट जाने की थी इच्छा
पारिजात बताते हैं, हमारे परिवार में छठ की शुरुआत नालंदा के बड़गांव से हुई। वहां का मंदिर भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था। उसे मेरे परदादा नवल किशोर प्रसाद ने बनवाया। वे पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील थे। पारिजात ने कहा कि कोराना काल में छठ करने के लिए दिल्ली में आरटी पीसीआर टेस्ट कराना पड़ा और फिर पटना आने के बाद यहां क्वारंटाइन रहा। इसके बाद छठ किया। पूरी प्लानिंग के साथ सब कुछ करना पड़ा। वे बताते हैं कि पिछली बार घर पर ही छठ किया था और तब सोचा था कि आगे से गंगा घाट पर जाकर करूंगा। लेकिन कोरोना से सबको बचाकर रखने की भी जवाबदेही है, इसलिए इस बार भी घर पर ही छठ किया। मां-पिता जी बुजुर्ग हैं, उन्हें भी दिक्कत होती।
छत व्रत करने से संयम विकसित होता है
बातचीत में पारिजात बताते हैं कि हर दिन समय से नाश्ता करता हूं, नहीं तो सिर में दर्द की शिकायत हो जाती है, लेकिन छठ में कोई दिक्कत नहीं होती। छठी मइया और भगवान सूर्य एनर्जी देते हैं। छठ व्रत करते हुए भूख की बात तो छोड़िए प्यास भी नहीं लगती। वे कहते हैं कि छठ में लंदन से पटना आने पर घर में एक साथ सभी से मिलना हो जाता है। इस इमोशन का बड़ा फायदा है लाइफ में। छठ व्रत करते हुए अंदर संयम डेवलप होता है और यह हर मोड़ पर काम आता है। छठ पर्व अनुशासन को भी मजबूत बनाता है।