Adhikmaas Amavasya 2023: अधिकमास अमावस्या व्रत से मिलती है सुख-समृद्धि

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आज अधिकमास अमावस्या है, हिन्दू धर्म में अमावस्या का खास महत्व है, तो आइए हम आपको अधिकमास अमावस्या व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
जानें अधिकमास अमावस्या के बारे में 
हिंदू धर्म में अधिकमास महीने का खास महत्व माना गया है। अधिकमास की अमावस्या 3 साल बाद आती है। अधिकमास हर तीन साल में एक बार लगता है और इस 30 दिन की अवधि में पड़ने वाली अमावस्‍या, अधिकमास की अमावस्‍या कहलाती है। इस बार अधिकमास की अमावस्‍या 16 अगस्‍त को है। इस दिन किए जाने वाले कुछ काम बहुत पुण्यदायी माने जाते हैं। पंडितों का मानना है कि इस दिन कुछ दुर्लभ उपाय करने से आपके जीवन में बड़े बदलाव आ सकते हैं और आपका बुरा समय टल जाएगा। 
अधिकमास अमावस्या का महत्व  
पंडितों के अनुसार अमावस्या के दिन स्नान-दान और तर्पण इत्यादि कर्म करने से साधकों को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। वहीं, कालसर्प दोष निवारण की पूजा करने के लिए भी अमावस्या का दिन उपयुक्त होता है। इस विशेष दिन पर पीपल के पेड़ की उपासना करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

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अधिकमास अमावस्या के दिन करें ये उपाय, मिलेगा लाभ
पंडितों के अनुसार अधिकमास अमावस्या की शाम को घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाएं। बत्ती के रूप में लाल रंग के धागे का उपयोग करें, इसमें थोड़ा केसर भी डालें। इस उपाय से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। अमावस्या के दिन भोले शंकर को शमी के पत्ते और बेलपत्र अर्पित करें। ऐसा करने पर आपको जीवन में आ रहे कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस दिन भगवान शिव पर कनेर का फूल चढ़ाने से व्यक्ति को कई प्रकार के शारीरिक कष्टों से भी छुटकारा मिलता है।
अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय
इस विशेष दिन पर सुबह उठकर नदी में स्नान कर पिंडदान और श्राद्ध कर्म करें। ऐसा कनरे पर पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से पितृ शांत होते हैं। साथ ही पितृ दोष दूर होता है।
अमावस्या पर करें ये, नकारात्मक ऊर्जा से मिलेगा छुटकारा
अमावस्या के पानी में खड़ा नमक डालकर पौंछा लगाएं। ऐसा करने घर में मौजूद से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। जिससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
जानें अधिकमास अमावस्या का शुभ मुहूर्त 
पंडितों के अनुसार हर 3 साल बाद पड़ने वाली अधिकमास की अमावस्या की तिथि 15 अगस्त 2023, मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 42 मिनट शुरू होगी और इसका समापन 16 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 07 मिनट हो जाएगा। इसी के साथ करीब एक महीने तक चलने वाला मलमास का महीना भी खत्म हो जाएगा और दोबारा से सावन का महीना शुरू जाएगा।
अधिकमास अमावस्या व्रत से पितृदोष होता है दूर
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष का विशेष महत्व होता है। पितृदोष को शुभ नहीं माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार विधि-विधान से करना जरूरी होता है। ऐसे में जिन लोगों की मृत्यु होती है और उनका अंतिम संस्कार सही तरीके से नहीं हो पाता है तो उनके परिजनों के ऊपर कई पीढ़ियों तक पितृदोष लगल जाता है। जिन जातकों के ऊपर यानी उनकी कुंडली में पितृदोष होता है वे संतान के सुख से वंचित रहते हैं। पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति को नौकरी, व्यवसाय और घर-गृहस्थी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पितृदोष होने पर अक्सर बुरे-बुरे सपने आते हैं। अधिकमास अमावस्या व्रत से पितृदोष से ग्रसित लोगों को लाभ मिलता है।
अधिकमास अमावस्या पर बन रहा है ये शुभ संयोग
अभी अधिकमास चल रहा है, जो कि 16 अगस्त को खत्म हो जाएगा। यानी कि अमावस्या के दिन जहां अधिकमास खत्म होगा वहीं दूसरी तरफ सावन माह भी प्रारंभ हो जाएगा। दोनों खास दिन की तिथि एक साथ पड़ने से यह दिन और अधिक शुभ माना जा रहा है। अधिकमास अमावस्या के दिन विष्णु जी के उपासना के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा करना भी फलदायी साबित होगा। अधिकमास में भगवान नारायण की पूजा का विधान है, जबकि सावन शिवजी का अति प्रिय महीना है। अधिक मास को मलमास और पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। 
अधिकमास अमावस्या पर करें ये उपाय
अधिकमास की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। पंडितों के अनुसार अधिकमास अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा करने का विशेष रूप से लाभ होता है। कुंडली से पितृदोष संबंधी ग्रह दोष को दूर करने के लिए इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और काला तिल चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा लंबी आयु और मृत्यु के भय को दूर करने के लिए शिवलिंग पर सफेद आक का फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा आदि चढ़ाएँ। अमावस्या तिथि पर पितरों को तर्पण करें और सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें। अमावस्या तिथि पर मंत्रों का जाप करना बहुत ही लाभदायक माना जाता है। इस गंगास्नान करने के बाद पितृसूक्त, पितृ स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ करना चाहिए।
– प्रज्ञा पाण्डेय

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