Vibhuvan Sankashti Chaturthi 2023: अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत से होती हैं समस्याएं दूर

0
आज अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी है, इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है, तो आइए हम आपको अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं। 
जाने अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी के बारे में 
हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान गणेश की विधिवत उपासना करने से कई प्रकार के रोग दोष और कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती। इस दिन पूजा-पाठ करने से पाप ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। इस साल विभुवन संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत 4 अगस्त को है। अधिक मास में पड़ने की वजह से यह व्रत हर तीन साल में एक बार आता है। विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही इस दिन कुछ उपाय करने से विघ्न-बाधाओं का अंत होता है और जीवन में खुशियां आती हैं। 
अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत से ये परेशानियां होती हैं दूर
पंडितों के अनुसार यदि आप विवाह योग्य हैं, लेकिन विवाह में बार-बार बाधाएं आ रही हैं तो विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को गुड़ की 21 गोलियां और दूर्वा अर्पित करें। इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। व्यापार में तरक्की या नौकरी में प्रमोशन के लिए विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन विध्नहर्ता गणेश की प्रतिमा को अपने घर ले आएं। फिर उनका पूजन करें और हल्दी की पांच गांठ गणेश जी को अर्पित करें। ऐसा करने से जल्द प्रमोशन के योग बनते हैं। विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन घर में गणेश यंत्र की स्थापना करें। ऐसा इसलिए क्योंकि गणेश यंत्र को बहुत लाभकारी माना जाता है। गणेश यंत्र को घर में स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि आप धन की समस्या से जूझ रहे हैं तो विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। गुड़ और घी का भोग लगाएं फिर उस भोग को गाय को खिलाएं। इससे धन लाभ मिलने के योग बनते हैं।

इसे भी पढ़ें: Guruvar Vrat: पहली बार करने जा रहे गुरुवार का व्रत तो जान ले यें नियम, हर बाधा से मिलेगी मुक्ति

अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी 2023 मुहूर्त 
पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिकमास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 4 अगस्त 2023को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 05 अगस्त 2023 को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर होगा. संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा का मुहूर्त 4 अगस्त को रहेगा।
– गणपति पूजा सुबह का मुहूर्त – सुबह 07.25 – सुबह 09.05
– शाम का मुहूर्त – शाम 05.29 – रात 07.10
विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत 3 साल में एक बार रखा जाता है। इस विशेष व्रत पर जप-तप और पूजा-पाठ से साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजा का महत्व 
अधिकमास भगवान विष्णु को समर्पित हैं और इस साल अधिकमास सावन में आया है। पंडितों के अनुसार अधिकमास में गणपति की पूजा करने से घर में जल्द मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। गणपति की कृपा से विवाह, संतान प्राप्ति और आर्थिक तरक्की में आ रही बाधाएं हमेशा के लिए दूर हो जाती है। घर में बरकत के साथ घर पर सुख-समृद्धि बनी रहती है।
अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन करें पूजा 
पंडितों के अनुसार विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले सुबह उठें और स्नान करें। इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करें। पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। स्वच्छ आसन या चौकी पर भगवान को विराजित करें। भगवान की प्रतिमा या चित्र के आगे धूप-दीप प्रज्वलित करें। ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपतये नमः का जाप करें। पूजा के बाद भगवान को लड्डू या तिल से बने मिष्ठान का भोग लगाएं। शाम को व्रत कथा पढ़कर चांद देखकर अपना व्रत खोलें। अपना व्रत पूरा करने के बाद दान करें।
अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कथा 
शास्त्रों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी से सम्बन्धित कई कथाएं प्रचलित है। एक बार शिवजी और माता पार्वती एक दूसरे साथ समय व्यतीत कर रहे थे। तब मां पार्वती को चौपड़ खेलने की इच्छा हुई। लेकिन इस खेल में सवाल यह उठा कि दोनों के बीच हार-जीत का फैसला कौन करेगा। इस समस्या से निपटने के लिए भगवान शिव ने घास-फूंस का एक बालक बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। इसके बाद पुतले से कहा कि अब हार-जीत का फैसला करना। चौपड़ खेलने के दौरान पार्वती तीन बार जीतीं। लेकिन बालक से पूछने पर उसने उत्तर दिया कि महादेव जीते। इस पर माता पार्वती बहुत क्रुद्ध हुईं और उन्होंने उसे कीचड़ में पड़ने रहने का अभिशाप दे दिया। इससे बालक दुखी हो गया उसने देवी से प्रार्थना की। तब देवी ने कहा कि आज से एक साल बाद यहां नागकन्याएं आएंगी उनके कहे अनुसार तुम गणेश जी की पूजा करना। ऐसा करने तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। उस बालक ने गणेश जी का व्रत किया। उपवास से देवता प्रसन्न हुए और उन्होने बालक से वर मांगने को कहा। बालक ने कहा कि मुझे अपने माता-पिता से मिलने कैलाश पर्वत जाना है। आप मुझे आर्शीवाद दें। इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया। इसके बाद उसने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए 21 दिन तक गणेश जी का व्रत करने से माता पार्वती प्रसन्न हो गयीं।
अधिकमास विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
शास्त्रों में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। वे अपने भक्तों की सारी विपदाओं को दूर करते हैं और उनकी मनोकामनाएं को पूर्ण करते हैं। ऐसे में विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर गणपति की पूजा-आराधना करने से समस्त प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
– प्रज्ञा पाण्डेय

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *