आखिर क्या है भारत में बढ़ती तपन की वजह? अप्रैल-मई के लिए ज़ारी हुई चेतावनी

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  • फरवरी में गर्मी ने तोड़ा 122 साल का रिकॉर्ड

1901 के बाद भारत में इस साल फरवरी माह सबसे ज्यादा तापमान रहा। इसी के चलते मौसम विभाग ने समय से पहले लू की चेतावनी दी थी। इस आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि अप्रैल-मई में तापमान सामान्य से ज्यादा हो सकता है।

 

 

नेशनल सेंटर फॉर एट्मोस्फेरिक साइंस एवं यूनिवर्सिटी ऑफ रिडिंग के मौसम वैज्ञानिक केरन हंट ने बताया कि कैसे अल नीनो और जलवायु में परिवर्तन की वजह से भारत का तापमान बढ़ता जा रहा है।

 

 

बताया जा रहा है कि पृथ्वी के औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्शियस की बढ़ोतरी हुई है। इन्हीं कारणों के चलते मौसम में अत्यधिक बदलाव साफ नजर आ रहे हैं। इसके दुष्परिणाम पर्यावरण और इंसानों पर भी देखे जा सकते हैं। अल नीनो एक बार फिर लौटकर आ गया है।

 

 

हंट बताते हैं कि अल नीनो एक ऐसा वैश्विक मौसम फेनोमेनन है जिसकी वजह से प्रशांत महासागर के ‘इक्वेटर’ क्षेत्र में समुद्री सतह गर्म हो जाती है। अल नीनो के कारण भारत में कम बादल बनेंगे जिसकी वजह से सामान्य से कम बारिश होगी। जिसके परिणाम स्वरूप भारत में सूखा पड़ने एवं असह‍नीय गर्मी के हालात पैदा हो सकते हैं। भारत ने 2016 में अल नीनो के कारण 51 डिग्री से‍ल्शियस का सबसे अधिक तापमान रिकॉर्ड किया था।

 

 

रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले वर्ष 2022 में भारत के लोगों ने मार्च और अप्रैल माह के बीच भीषण गर्मी का सामना किया था, जब तापमान सामान्य से 8 डिग्री तक ज्यादा था। 2021 में भी कुछ ऐसे ही हालात बने हुए थे। अल नीनो की वजह से वसंत का मौसम छोटा हो जाता है। जिसका सीधा असर खेती पर देखा गया है।

 

 

मार्च 2023 में मौसम परिवर्तन की वजह से किसानों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा। बेमौसम ओलावृ‍ष्टि ने हजारों किसानों की फसलें तबाह कर दी थीं। ऐसे में उन किसानों को ज्यादा मुश्किल का सामना करना पड़ा जो कर्ज चुकाने के लिए फसल के मुनाफे पर निर्भर थे।

 

 

हंट ने अपनी रिपोर्ट में लू से होने वाले जानलेवा परिणामों पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक तापमान के ज्यादा बने रहने से लोगों की जान को भी खतरा बना रहता है। पिछले कुछ दशकों में भारत की जनसंख्या में बढ़ोतरी होने से जनसंख्या का घनत्व भी बढ़ गया है।

 

 

भारत का औसत तापमान 40 डिग्री वैसे भी ज्यादा ही है। ऐसे में तापमान में और अधिक बढ़ोतरी होने से मौसम में थोड़े से परिवर्तन भी खतरनाक साबित हो सकते हैं।

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