रामनवमी का क्या है महत्व? जानें शुभ योग व पूजन विधि

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चैत्र नवरात्रि के 9 वें दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम ने जन्म लिया था।
इस बार रामनवमी कल 30 मार्च को 5 शुभ योग में मनाई जाएगी। रामनवमी पर इस बार गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरु योग का संयोग है। राम नवमी के दिन इन पांचों योग के होने से श्रीराम की पूजा का शीघ्र फल मिलेगा। इस दिन किए कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।
श्री पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि गुरु पुष्य योग और अमृत सिद्धि योग 30 मार्च को प्रात 10:59 बजे आरंभ होगा और 31 मार्च की सुबह 06:13 बजे तक रहेगा। गुरु योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। इन पांच योग को एक साथ रामनवमी के दिन मिलने से तथा विधि-विधान पूर्वक भगवान राम का पूजा आराधना करने से आए हुए विपत्ति से छुटकारा तथा संतान सुख की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमीं तिथि 30 मार्च को रामनवमी मनाई जाएगी।  इस दिन पूरे देश में धूमधाम से राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म राजा दशरथ के घर पर हुआ था। इस दिन प्रभु श्रीराम की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। रामनवमी के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीराम का केसरयुक्त दूध से अभिषेक कर श्रीराम चरित मानस का पाठ करें। समयाभाव में पूरा पाठ न कर सकें तो सुन्दकाण्ड का पारायण अवश्य करें। इससे घर में खुशहाली आती है। धन वैभव की वृद्धि होती है। रामनवमी के दिन एक कटोरी में गंगा जल रखकर उसके सामने रामरक्षा मंत्र ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं रामचन्द्राय श्री नम का जप 108 बार करें। इसके बाद जल को घर के हर कोने छत पर छिड़क दें। ऐसा करने से घर का वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रामनवमी पर 30 मार्च को योगों का महासंयोग बन रहा है। इस दिन सुबह से रात्रि पर्यंत अनेक योग विद्यमान रहेंगे। दिनभर सर्वार्थसिद्धि योग की साक्षी रहेगी, जो साधना, आराधना व शुभ कार्यों के लिए विशेष है। रात्रि में अमृतसिद्धि योग तथा गुरु पुष्य नक्षत्र की साक्षी रहेगी। इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र का होना भी विशेष माना जा रहा है। विशिष्ट योग नक्षत्र की मौजूदगी में दोपहर 12 बजे श्रीराम जन्मोत्सव मनाना तथा चैत्र नवरात्र की पूर्णाहुति सर्वहितकारी है। इस बार चैत्र शुक्ल नवमी तिथि गुरुवार 30 मार्च के दिन पुनर्वसु नक्षत्र मिथुन राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। गुरुवार के दिन पुनर्वसु नक्षत्र होने से यह सर्वार्थ सिद्धि योग अमृत सिद्धि का भी संयोग रहेगा। इस दृष्टि से रामनवमी के पावन पर्व पर भगवान श्री राम की साधना आराधना उपासना करने से परिवार में सुख शांति होती है तथा पति पत्नी के संबंध अनुकूल रहते हैं। वहीं, भाइयों का सुख भी प्राप्त होता है।

 

  • 5 योगों का होगा संयोग 
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रामनवमी पर इस बार गुरु पुष्य पुष्प योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरु योग का संयोग है। राम नवमी के इन दिन इन 5 योग के होने से श्रीराम की पूजा करने से आपको शीघ्र फल की प्राप्ति होगी। साथ ही इस दिन किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।  ज्योतिषों के अनुसार गुरु पुष्य योग और अमृत सिद्धि योग 30 मार्च को सुबह 10:59 मिनट पर आरंभ होगा और 31 मार्च की सुबह 06:13 मिनट तक रहेगा। वही गुरु योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सूर्योदय के साथ शुरु होगा और सूर्यास्त तक रहेगा।
  • पूजा विधि
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस पावन दिन शुभ जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन लें। अपने घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। घर के मंदिर में देवी- देवताओं को स्नान कराने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनाएं। भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें। भगवान को फल भी अर्पित करें। अगर आप व्रत कर सकते हैं, तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान को अपनी इच्छानुसार सात्विक चीजों का भोग लगाएं। इस पावन दिन भगवान राम की आरती भी अवश्य करें। आप रामचरितमानस, रामायण, श्री राम स्तुति और रामरक्षास्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। भगवान के नाम का जप करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप श्री राम जय राम जय जय राम या सिया राम जय राम जय जय राम का जप भी कर सकते हैं। राम नाम के जप में कोई विशेष नियम नहीं होता है, आप कहीं भी कभी भी राम नाम का जप कर सकते हैं। रामनवमी पर सुंदरकांड हनुमान चालीसा और संकट मोचन का पाठ अवश्य करें।
  • हवन सामग्री
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि आम की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, नीम, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलैठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, पंचमेवा, जटाधारी नारियल, गोला और जौ आदि हवन में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री जुटाएं।
  • हवन विधि
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हवन पर बैठने वाले व्यक्ति को रामनवमी के दिन प्रातः जल्दी उठना चाहिए। शौच आदि से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करने चाहिए। वैदिक शास्त्रों में ऐसा लिखा है कि यदि हवन पति-पत्नी साथ में करें तो उसका विशेष फल प्राप्त होता है। सबसे पहले किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें। हवन कुंड में आम लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। इसके बाद हवन कुंड में ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः का जाप करते हुए घी से माता के नाम की आहुति दें। इसी के साथ अन्य देवी-देवताओं के नाम की आहुति दें। इसके बाद संपूर्ण हवन सामग्री से 108 बार हवन सामग्री को आहुति दें।
  • हवन के बाद करें यह कार्य
हवन के बाद माता जी की आरती करें। इसके बाद माता को खीर, हलवा, पूड़ी और चने का भोग लगाएं। कन्याओं को भी भोजन कराएं। प्रसाद बांटें। उन्हें दक्षिणा भी दें।
  • राम नवमी का महत्व
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि राम नवमी का दिन भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार प्रभु श्री राम की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। भक्तों के जीवन से सभी कष्ट कट जाते हैं। इसके अलावा इस दिन नवरात्रि का समापन भी होता है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन को महानवमी कहते हैं। इस दिन पूजा अर्चना करने से राम जी के साथ आदिशक्ति मां जगदम्बा की कृपा भी प्राप्त होती है।
 डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक
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