Darsha Amavasya 2023: दर्श अमावस्या व्रत से जीवन में आती है समृद्धि
आज दर्श अमावस्या है, हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या को खास महत्व दिया है, तो आइए हम आपको दर्श अमावस्या व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
जानें दर्श अमावस्या के बारे में
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को चैत्र अमावस्या, दर्श अमावस्या, भूतड़ी अमावस्या जैसे नामों से जाना जाता है। मान्यता है कि इस अमावस्या के दिन भूत-प्रेत की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कुछ ज्योतिष संबंधी उपाय करना शुभ होगा। इसके साथ ही इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। इस दिन चंद्र देव की विशेष उपासना की जाती है। पंडितों के अनुसार चंद्रमा मन का कारक ग्रह जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत और पूजन करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन लोग गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं।
दर्श अमावस्या का महत्व
अमावस्या या अमावसी को उस दिन के रूप में माना जाता है जब चंद आकाश में दिखाई नहीं देता है। हम यह भी कह सकते हैं कि हिंदू परंपरा में चंद्र कैलेंडर के अनुसार अमावस्या की रात चांद नहीं दिखता है। चांद्र मास की पहली तिमाही में, यह पहली रात कहलाती है। हालांकि आज भी धार्मिक लोग इस बात पर बहस करते हैं कि अमावस्या को शुभ कहा जायें या अशुभ। कहा जाता है कि अमावस्या की रात्रि को यात्रा न करें क्योंकि उस दिन चांदनी नहीं होती है और इस कारण यह खतरे को आमंत्रित करती है। इस दिन ज्योतिषी लोगों को कोई भी शुभ कार्य करने की सलाह नहीं देते हैं, क्योंकि हिंदू ज्योतिष में चंद्रमा और महत्वपूर्ण ग्रह दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए इस दिन कोई नया उद्यम या महत्वपूर्ण समारोह आयोजित नहीं करना चाहिए।
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यदि हम प्रतीकात्मक शब्दों में बात करें, तो अमावस्या से पूर्णिमा तक की अवधि को यशक्रम जागृति और परिपूर्णता में श्रेष्ट माना जा सकता है। अंधेरे से लेकर सर्वोच्च आत्मा के क्रमिक अनुभूति तक, जिसे हम “तमसो मा ज्योतिर्गमय” कहते हैं। भारत के ज्यादातर हिस्से में ‘अमावस्या’ शब्द का आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। परन्तु विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से भी पुकारा जाता है साथ ही साथ अलग अलग महीनों में अलग अलग नाम से भी पुकारा जाता है। जैसे माघ महीने को ‘मौनी अमावस्या’ कहा जाता है और आश्विन महीने में इसे ‘महाकाल अमावस्या’ कहा जाता है। तमिलनाडु में आदि महीने में अमावसी का अत्यधिक महत्व है। जबकि केरल में कार्किदकम महीने की अमावस्या का अधिक महत्व है।
दर्श अमावस्या पर ऐसे करते हैं अनुष्ठान
पंडितों के अनुसार चंद्रदेव को सबसे महत्वपूर्ण नवग्रह माना जाता है। उन्हें भावनाओं के स्वामी और पौधे और पशु जीवन के पोषण के रूप में जाना जाता है। इस शुभ दिन पर चंद्र देव की पूजा करने वाले लोग अपने जीवन में सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। यह जीवन में मुसीबतों को कम करता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक संवेदनशीलता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। यह दिन ज्ञान, पवित्रता और नेक इरादों से जुड़ा है। पूर्वजों (संस्कृत में पितृ के नाम से जाना जाता है) की पूजा करना का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। मोक्ष (जीवन और मृत्यु के चक्र को पूरा करने) को प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की पूजा इस दिन की जाती है साथ ही साथ एक अच्छे भाग्य की इच्छा पूरी होती है। दर्शन अमावस्या पर व्रत अमावस्या की तिथि सुबह से शुरू होती है और अगले दिन चन्द्र दर्शन के बाद चन्द्रमा के दर्शन के बाद ही समाप्त होती है। इस दिन पूर्वजों के लिए किए गए श्राद्ध, पापों और पितृ दोष को दूर करते हैं और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और खुशी के लिए पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मोक्ष (जीवन और मृत्यु के चक्र को पूरा करने) को प्राप्त करने के लिए भी कई महत्वपूर्ण पूजा जाती है
दर्श अमावस्या पर इन कामों से होगा नुकसान
पंडितों के अनुसार अमावस्या को अशुभ माना जाता है इसलिये इस समय पर किसी भी प्रकार शुभ कार्य नहीं करना चाहिये। भोग विलास की वस्तुओं से दूर रहें। घर को गंदा ना रखें क्योंकि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा बढती है। स्वयं को अंधेरे स्थान से दूर रखें।
दर्श अमावस्या पर इनसे होगा लाभ
दर्श अमावस्या का दिन बहुत खास होता है इसलिए ईश्वर का ध्यान करें। घर को साफ और स्वच्छ रखें। उपवास रखे और मन को स्वच्छ रखें। इस मंत्र का उच्चारण भी करें। ॐ सों सोमाय नम:, नमः शिवाय।
– प्रज्ञा पाण्डेय