करोड़ों की मालकिन अकेली डाॅक्टरेट बुजुर्ग महिला, पर कब हुई मौत किसी को पता नहीं ! पता तब चला जब मिला कंकाल
- मृतिका ने डाॅक्टरेट की डिग्री हासिल कर रखी थी
- सिर्फ 1 लीटर दूध पीकर ही जी रही थी जिंदगी
आगरा के नॉर्थ विजय नगर काॅलोनी में करोड़ों की कोठी में अकेली रहने वाली वृद्धा की कब मौत हो गई, किसी को पता ही नहीं चला। गाजियाबाद से जब उनका भाई लंबे समय बाद मिलने आया तब जानकारी हो सकी। उसने बताया कि 65 वर्षीय निर्मल देवी काफी होनहार थीं। उन्होंने डाॅक्टरेट की डिग्री हासिल कर रखी थी। उनके पिता गोपाल की खराद की फैक्टरी थी। काम अच्छा चलता था। पिता की 20 साल पहले और मां की ढाई साल पहले मौत के बाद निर्मल एकाकी जीवनी जी रही थीं। उन्होंने अपने सौतेले भाइयों और बहन से दूरी बना रखी थी। इस कारण वो अपनों के लिए भी पराई बन गई थीं। यही वजह थी कि उनकी मौत का पता तब चला जब उनकी लाश कंकाल में बदल गई।
निर्मल देवी कोठी नंबर 67 में रहती थीं। उनसे मिलने के लिए बृहस्पतिवार को उनके भाई रणवीर सिंह आए थे। वह लोनी, गाजियाबाद के रहने वाले हैं। दरवाजा नहीं खुलने पर उन्होंने पुलिस को बताया था। घर में निर्मल का कंकाल मिला था। उन्होंने पुलिस को बताया था कि पिता गोपाल की फाउंड्रीनगर में खराद की फैक्टरी थी। उन्होंने दो शादियां की थीं। पहली पत्नी स्वरूप देवी से उनके अलावा भाई सुरेंद्र, सुरेंशचंद, सूरजभान और बहन प्रवेश थीं। बचपन में मां की मौत हो गई। इस कारण पिता ने होशियारी देवी से दूसरी शादी कर ली। उनके साथ नार्थ विजयनगर काॅलोनी में रहने लगे। वो गाजियाबाद में रहने चले गए।
पिता के दूसरी पत्नी से एक बेटी निर्मल थीं। वह पढ़ने में काफी होशियार थीं। उन्होंने पीएचडी कर ली। इसके बाद शादी नहीं की। पिता जब तक थे, तब तक वो घर आते थे। लेकिन, 20 साल पहले उनकी मौत हो गई। इस पर आना जाना बंद कर दिया। होशियारी देवी की मौत के बाद बहन की चिंता सताने लगी। वह मिलने आते थे, लेकिन वो दरवाजा नहीं खोलती थीं। इस कारण लौट जाते थे।
- नहीं मिला था कोई जवाब
वह डेढ़ महीने पहले भी आए थे। दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। गेट पर ताला लगा हुआ था। उन्होंने काॅलोनी में एक दुकानदार से बात की। कहा कि बहन कोई जवाब नहीं दे रही है। इस पर एक नंबर दे गए। कहा कि बहन घर में नजर आए तो बता जाना कि भाई आया था। लेकिन, दुकानदार ने भी कोई जवाब नहीं दिया। अब वो बहन को देखभाल के लिए ले जाने आए थे। इसलिए अपनी भतीजी रजनी, बेटे विशन सिंह, भतीजे रवि, अजीत आदि के साथ आए थे। लेकिन, कोई जवाब नहीं मिला। पुलिस के बुलाने पर घर में कंकाल मिला।
- फर्श पर पड़ा था कंकाल
परिजन ने बताया कि घर में कमरे में कंकाल मिला था। वह फर्श पर पड़ा हुआ था। कमरे में बेड भी था। इससे आशंका है कि वह काम से उठी होंगी। इस दौरान ही गिर गईं और मौत हो गई। पुलिस का अनुमान है कि उनकी मौत तकरीबन दो महीने पहले हुई होगी। लाश को कंकाल बदलने मेंं इतना समय लगा होगा।
- करोड़ों की मालकिन से पड़ोसी भी बेखबर
नार्थ विजय नगर काॅलोनी में निर्मल देवी जिस कोठी में रह रही थीं, वह तकरीबन 500 वर्ग गज की है। इसकी कीमत करोड़ों में है। काॅलोनी में 10-12 बड़ी कोठी बनी हैं। इनमें सबसे पुरानी निर्मल देवी की ही थी। पड़ोस में रहने वाले एक किरायेदार ने बताया कि निर्मल अक्सर आसपास की दुकान पर जाया करती थीं। लेकिन, वो किसी से बोला नहीं करती थीं। इस कारण पड़ोसी भी नहीं बोलते थे। वह एक बार घर के अंदर जाने के बाद बाहर तक नहीं आती थीं। पीने का पानी, राशन आदि कहां से आता था, यह तक किसी को पता नहीं था। पिता और मां की मौत के बाद निर्मल ही कोठी में रह रही थीं।
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने का इंतजार
थाना हरीपर्वत के प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है। निर्मल देवी का कंकाल मिला था। इस पर फोरेंसिक रिपोर्ट भी आवश्यक है। डाॅक्टर और फोरेंसिक एक्सपर्ट रिपोर्ट बनाएंगे। उधर, पोस्टमार्टम होने पर परिजन ने अंतिम संस्कार कर दिया।
- रोजाना खरीदने जाती थीं एक लीटर दूध
पड़ोसियों ने बताया कि निर्मल देवी रोजाना घर से निकलती थीं। वह 200 मीटर की दूरी पर स्थित एक दुकान पर जाती थीं। एक लीटर दूध खरीदकर लाती थीं। इसके अलावा कुछ और सामान खरीदते हुए उन्हें किसी ने नहीं देखा था। ऐसे में यही अनुमान है कि वह दूध पीकर ही जी रही थीं।