जानें कौन सी Income tax व्यवस्था है आपके लिए बेहतर – नई या पुरानी? पढ़कर दूर हो जाएगा आपका सारा कन्फ्यूजन

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आपके लिए कौनसी Income tax व्यवस्था अच्छी है नई या पुरानी? पढ़कर दूर हो जाएगा सारा कन्फ्यूजन बजट में आयकर के अंतर्गत सरकार ने 2 तरह से रिटर्न भरने के लिए विकल्प दिए हैं। पहला जिसे हम ओल्ड रिजिम के नाम से जानते हैं, जिसमें LIC, ट्यूशन फीस वगैरह की 150000 तक व मेडिक्लेम की भी छूट ले सकते हैं। हाउसिंग लोन पर ब्याज की छूट ले सकते हैं पुराने घाटे को सेट ऑफ कर सकते हैं, लेकिन नए विकल्प में उपरोक्त कोई छूट नहीं मिलेगी, (सिर्फ NPS और अटल पेंशन योजना की छूट मिलेगी) इसी रिजिम में सरकार ने लिमिट 7 लाख की है।

 

 

 

नई कर व्यवस्था में सरकार 25000 की टैक्स में छूट देगी। इसके बाद टैक्स निल हो जाएंगे। यदि बगैर छूट लिए आपकी आय 7 लाख से एक रुपया भी ऊपर गई तो आपको 3 लाख की बेसिक छूट मिलेगी व इसके आगे की आय पर आपको स्लैब 5%, 10%, 15%, 20%, 30% के हिसाब से टैक्स भरना है।

 

 

इस तरह समझें : नई टैक्स व्यवस्था को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति की आय 7 लाख है तो उसे टैक्स  नहीं भरना होगा, लेकिन उसकी आय 7 लाख 10 हजार है तो उसे 3 लाख तक ही छूट मिलेगी। इसक के बाद उसे 3 से 6 लाख की आय पर 15 हजार व 6 से 9 वाली स्लैब में 1 लाख 10 हजार पर 11 रुपए टैक्स के रूप में देने होंगे। इस तरह उसे कुल मिलाकर टैक्स 26 हजार चुकाना पड़ेगा।

 

 

 

वहीं, दूसरी इनकम टैक्स की ओल्ड रिजिम में व्यक्ति करीब 9 लाख तक की आय पर निवेश, हाउस लोन इंटरेस्ट, हाउस रेंट आदि के बिल लगाकर छूट हासिल कर सकता है। इसके साथ ही नई कर व्यवस्था में आने के बाद चूंकि ‍व्यक्ति को निवेश पर किसी प्रकार की छूट नहीं मिलेगी तो वह निवेश में रुचि नहीं दिखाएगा।

 

 

 

व्यापारी एक बार उपरोक्त ऑप्शन को ले लेते हैं तो वे वापस पुराने रिजिम में नहीं जा सकते, लेकिन जिनकी व्यापारिक आय नहीं है, वे वापस ओल्ड रिजिम में अगले वर्ष जा सकते हैं। व्यापारी वर्ग नई रिजिम में रुचि नहीं लेगा, क्योंकि उसे कभी घाटा भी हो तो वह ओल्ड रिजिम में अगले वर्ष सेट ऑफ ले सकता है, नई रिजिम में नहीं।

 

 

5 करोड़ से ज्यादा की आय वाले यदि नई रिजिम को चुनते हैं तो सरचार्ज की लिमिट 25% से 37% की है, जबकि ओल्ड रिजिम में सरचार्ज वही 37% ही है। सभी बातें नई रिजिम के लिए हैं, पुरानी रिजिम में कोई बदलाव नहीं है, वहीं 2.5 लाख की बेसिक छूट व 12500 की टैक्स में छूट यदि आय 5 लाख से कम हो तो।

 

 

 

कैपिटल गेन : अब धारा 54 व 54F में यदि कोई प्रॉपर्टी बेचकर नया मकान बनाता है तो उसे कैपिटल गेन में मैक्सिमम लिमिट 10 करोड़ की ही छूट मिलेगी, पहले यह छूट अनलिमिटेड राशि की थी। इसका प्रभाव बड़े लोगों पर पड़ेगा।

 

 

एमएसएमई : स्माल इंटरप्राइजेस MSME से यदि आपने उधारी में मॉल खरीदा है तो 15 दिन में पैमेंट करना या टर्म, जो आपस में तय की हो जो 45 दिन से ज्यादा नहीं होगी, यदि आपने MSME को भुगतान नहीं किया तो इसकी छूट उसी वर्ष में मिलेगी, जिस वर्ष आपने इसका भुगतान किया है। उपरोक्त प्रोविसिन व्यापारी के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर सकता है, क्योंकि वर्तमान में कई लोगों ने MSME में रजिस्ट्रेशन करवा लिए हैं।

 

 

 

यदि टर्नओवर 1 करोड़ से ऊपर है : 1 करोड़ से ऊपर टर्नओवर होने पर आपको टैक्स ऑडिट कराना होता है, लेकिन यदि सालभर में आपका टोटल लेन-देन, क्रय-विक्रय 10 करोड़ से नीचे है एवं 95% चेक से लेन-देन है तो ऑडिट से छूट दी थी 44AD के अंतर्गत, यदि आप अपनी आय 6%/8% (टर्नओवर की) या इससे ऊपर बताते हैं तो टर्नओवर 2 करोड़ से नीचे है तो भी आपको ऑडिट नहीं कराना होता है। इस लिमिट को बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया है, लेकिन कंडीशन 95% चेक से लेन-देन की रहेगी। मतलब यह कि लिमिट नकदी विक्रय के व्यापारियों के लिए अभी भी 2 करोड़ ही रहेगी। इसी प्रकार प्रोफेशनल के लिए लिमिट 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख कर दी है।

 

 

 

आनलाइन गेम पर क्या होगा असर : ऑनलाइन गेम, लॉटरी वगैरह प्रत्येक इवेंट पर 10000 से ऊपर पैमेंट होता था तो TDS कटता था, अब इसे पूर्ण ईयर के हिसाब से देखा जाएगा। मतलब अब टीडीएस कटेगा, जिससे ऑनलाइन गेम की कमाई छुपा नहीं पाएंगे।

 

 

 

विदेश जाना होगा महंगा : टीसीएस में बड़ा परिवर्तन विदेशी टूर पैकेज विदेश जानेवालों के विदेश में खर्चों के पैसों पर 5% की जगह टीसीएस 20% कटेगा, इसमें 100 रुपए पर टीसीएस और अन्य पैसे भेजने पर भी 20% कटेगा। पढ़ाई और मेडिकल खर्चों के लिए अभी भी 7 लाख की छूट व 5% टीसीएस ही है। स्टार्टअप के घाटे को 10 वर्ष तक सेट ऑफ करने की सुविधा कर दी गई है, भले ही प्रमोटर चेंज हो गए हों।

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