वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले अपने अंतिम पूर्ण बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को कर मोर्चे पर राहत दी है। इसके तहत नई आयकर व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपए तक की आय पर अब कोई कर नहीं लगेगा। लेकिन, इसमें भी थोड़ा पेंच है और कन्फ्यूजन भी है। यदि आपकी आय 7 लाख रुपए से ज्यादा है तो आपको इस व्यवस्था में ज्यादा कर चुकाना पड़ सकता है। हालांकि सरकार ने पुरानी कर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया है।

 

 

हालांकि लोगों को अब भी इस बात का कन्फ्यूजन है कि उन्हें नई व्यवस्था के तहत रिटर्न दाखिल करना चाहिए या फिर पुरानी व्यवस्था के तहत रिटर्न भरना चाहिए।

 

 

इंदौर के चार्टर्ड अकाउंटेंट भरत नीमा ने कहा कि बजट में सरकार का नई कर व्यवस्था बढ़ाने पर जोर। हालांकि नई कर व्यवस्था में इन्वेस्टमेंट का लाभ नहीं मिलेगा। 7 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन यदि आय 7 लाख से ऊपर है तो 3 लाख से ऊपर की पूरी आय पर स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।

 

 

दरअसल, वित्त मंत्री ने नई कर व्यवस्था यानी बिना कोई छूट वाली कर व्यवस्था को ‘डिफॉल्ट’ बनाने का प्रस्ताव किया है। ‘डिफॉल्ट’ व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर आयकर विशेषज्ञ सत्येन्द्र जैन ने कहा कि इसका मतलब है कि अगर आपने आयकर रिटर्न में आपने अपना विकल्प नहीं चुना है तो आप स्वत: नई कर व्यवस्था में चले जाएंगे। बजट प्रस्तावों के अनुसार, 1 अप्रैल से नए प्रावधान लागू होंगे।

 

 

 

बजट सकारात्मक, लेकिन… : सीए भरत नीमा कहते हैं कि नई व्यवस्था के बाद जो लोग 80 सी के तहत बचत करते थे, वह अब कम हो पाएगी। एलआईसी और म्यूचुअल फंड में कम कॉन्ट्रीब्यूशन हो सकता है।

 

 

 

नीमा कहते हैं कि जमीन बेचने के बाद यदि व्यक्ति प्रॉपर्टी में निवेश करता था तो उस पर टैक्स छूट अनलिमिटेड थी, लेकिन अब यह छूट सिर्फ 10 करोड़ तक ही रहेगी। हालांकि इससे छोटे और मध्यमवर्गीय लोगों को नुकसान नहीं होगा, लेकिन बड़े लोगों को, जो 10 करोड़ से ज्यादा का सौदा करते हैं, उन्हें इसका नुकसान होगा।

 

 

 

इसके साथ ही विदेश यात्रा कार्यक्रमों पर स्रोत पर कर संग्रह (TCS) वसूलते हुए आयकर अधिनियम की धारा 206 सी में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है। अभी तक टीसीएस की सीमा 5 फीसदी थी, जो नए बजट के बाद बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगी। ये संशोधन 1 जुलाई, 2023 से प्रभावी होंगे।

 

 

 

हालांकि यह बजट बिजनेस और एमएसएमई को प्रमोट करने वाला है। पॉजिटिव बजट है। यह एम्प्लाईमेंट ओरिएंट बजट होने के साथ एग्रीकल्चर पर ज्यादा फोकस किया गया है। फाइनेंशियल क्षेत्र के लिए भी यह बजट काफी अच्छा है।

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