Sankashti Chaturthi पर ऐसे करें श्री गणेश की आराधना, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की आराधना का पर्व माना जाता है, इस दिन भगवान गणेश की पूजा से घर की सुख शांति बनी रहती है और घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। संकष्टी चतुर्थी व्रत मंगलवार को रखा जायेगा। संकष्टी चतुर्थी को माताएं संतान की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। आइये जानते हैं क्या है संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त और पूजा विधि-

संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार संकष्टी व्रत का शुभ मुहूर्त 10 जनवरी को दिन में 12 बजकर 8 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 11 जनवरी को दिन में 2 बजकर 32 मिनट पर होगा । संकष्टी चतुर्थी पर चन्द्रमा की पूजा का विशेष विधान है इस दिन चंद्रोदय 8 बजकर 41 मिनट पर होगा। संकष्टी व्रत का समापन चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही होता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा योग लग रहा है यह 12 बजे तक समाप्त हो जायेगा।

इसे भी पढ़ें: Shree Ganesha: इन उपायों को अपनाकर प्राप्त करें विघ्नहर्ता गणेश की कृपा

पूजन विधि
संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान गणेश को स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। भगवान गणेश की पुरे विधि-विधान से पूजा करें, गणपति को लाल आसन पर विराजमान करें इसके बाद धुप, दीप, दूर्वा से पूजन करें और गुड़, तिल, लड्डू का भोग लगाएं, गणेश जी के मन्त्रो का जप करें। चंद्रोदय के पूर्व गणेश की उपासना करें फिर चंद्रोदय के समय चंद्र दर्शन और चन्द्रमा को अर्घ्य दे और व्रत का पारण करें।

पौराणिक कथा
लक्ष्मी जी से विवाह के समय भगवान विष्णु ने गणेश जी को निमंत्रण नहीं दिया, बारात प्रस्थान के समय सभी देवता गणेश जी के विषय में पूछने लगे भगवान विष्णु  ने कहा, मैंने शिव जी निमंत्रण दिया है गणेश को यदि आना होता तो वह अपने पिता के साथ आ सकते थे, शायद उन्हें विवाह में सम्मिलित होने की इच्छा नहीं होगी। इस पर अन्य देवता गण कहने लगे गणेश जी तो यहीं  हैं, ऐसा करते हैं इनको द्वारपाल बना देते हैं क्योकि गणेश की सवारी मूषक बहुत ही धीमी गति से चलता है बारात में विलम्ब होगा। इस अपमान से श्री गणेश अति क्रोधित हो गए और उन्होंने बारात के मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। बहुत क्षमा याचना के बाद और आदर सम्मान के बाद बारात का मार्ग का विघ्न दूर हुआ। लक्ष्मी नारायण का विवाह सकुशल संपन्न हुआ। तब सभी देवतों ने गणेश वंदना करते हुए कहा ‘हे श्री गणेश जैसे आपने श्री विष्णु के काज संवारे हैं उसी प्रकार सभी के काज पूर्ण करिये’।        

संकष्टी चतुर्थी का महत्व  
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर होती है और सुख समृद्धि का आगमन होता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रमा की पूजा से मन और चित्त के विकार दूर होते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *