पौष पूर्णिमा पर है सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
ज्योतिष के अनुसार पौष को सूर्य देव की आराधना का समय माना जाता है। पौष माह में सूर्य देव की उपासना से आरोग्य और शुभ फल प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा को सूर्य की आराधना से सभी बाधाओं और रोगों से मुक्ति मिलती है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है पौष पूर्णिमा को सूर्य देव के विधिवत पूजन से बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
पौष पूर्णिमा तिथि
हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा तिथि शुक्रवार को 02 बजकर 16 am से शुरू हो रही है यह 7 जनवरी शनिवार को 04 बजकर 37 am तक मान्य है तो उदयातिथि को ध्यान में रखते हुए पौष पूर्णिमा 6 जनवरी 2023 को है इस दिन स्नान, ध्यान, दान किया जायेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग का समय
साल की पहली पूर्णिमा सर्वार्थ सिद्धि का योग है सर्वार्थ सिद्ध योग में किसी भी शुभ कार्य का सहस्त्र गुना फल प्राप्त होता है। इस योग में किये गए सभी शुभ कार्य सफल होते हैं। 7 जनवरी को रात 12 बजकर 14 मिनट पर सर्वार्थ सिद्ध योग है साथ ही पौष पूर्णिमा वाले दिन सुबह 8 बजकर 11 मिनट तक ब्रह्म योग बना हुआ है। इसके बाद भद्रा योग है जो दोपहर 3:24 मिनट तक रहेगी।
पौष पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा
पौष पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है इनकी उपासना से सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है,माँ लक्ष्मी के साथ ही चन्द्रमा की भी पूजा का विधान है इससे कुंडली में चंद्र दोष की बाधा से मुक्ति मिलती है। पौष पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत और कथा से जीवन में सुख शांति का वास होता है।
व्रत विधि
स्नान दान के बाद व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की पूजा के बाद भोग लगाकर आरती करें। भगवान सूर्य के नामों का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्ध्य दें। श्री लक्ष्मी नारायण का स्मरण करें। रात में चन्द्रमा को अर्ध्य दें।
पौष पूर्णिमा पर खास बातें
1- यदि आप नदी पर स्नान कर रहें है हाथ में कुशा लेकर स्नान करें अगर घर पर स्नान कर रहें है तो पानी में गंगा जल मिलाकर हाथ में कुशा लेकर स्नान करें।
2- घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण लगाना शुभ माना जाता है इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
3- पीपल के पेड़ की पूजा से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है। पीपल में माँ लक्ष्मी का वास होता है।