सुप्रीम कोर्ट ने निजी शिक्षकों के हक़ में दिया फ़ैसला

मध्यप्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा,रखी यह मांग
  • शिक्षकों में छाई खुशहाली
  • स्कूलों को ब्याज के साथ पूरी ग्रेच्युटी देनी होगी

देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूल टीचर्स को बड़ी खुशखबरी देने वाला फैसला सुनाया है। मामला प्राइवेट स्कूल टीचर्स की सैलरी से जुड़ा है। देशभर के लाखों स्कूल टीचर्स की ग्रेच्युटी जारी रहेगी और इसे रोका नहीं जाएगा। स्कूलों को इन शिक्षकों को ब्याज के साथ पूरी ग्रेच्युटी देनी पड़ेगी।

 

फैसले के अनुसार जो शिक्षक 1997 या इसके बाद रिटायर हुए हैं, वे भी ग्रेच्युटी के हकदार हैं। स्कूलों को इन शिक्षकों को ब्याज के साथ पूरी ग्रेच्युटी देनी पड़ेगी। पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी (अमेंडमेंट) एक्ट 2009 के तहत 6 सप्ताह में स्कूलों को शिक्षकों को उनका लाभ देना होगा।

 

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कोई भी निजी स्कूल किसी शिक्षक या कर्मचारी को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित करता है तो दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय से मंजूरी लेनी होगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि 15 दिन में मंजूरी नहीं ली तो निलंबन स्वत: रद्द हो जाएगा।

 

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम की धारा 8 के बिंदु 4 और 5 के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए यह फैसला दिया है। पीठ ने कहा है कि स्कूल प्रबंधन अपने शिक्षक या कर्मचारियों को अनुशासनात्मक कार्यवाही में आमतौर पर निलंबित नहीं कर सकते। स्कूल प्रबंधन विशेष परिस्थिति में ही ऐसा कर सकता है। ऐसा करने पर शिक्षा निदेशालय से 15 दिन के भीतर मंजूरी लेना अनिवार्य है। इसमें विफल रहने पर निलंबत समाप्त हो जाएगा।

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