Ashoka Pillar Controversy : अशोक चिन्ह पर सियासी संग्राम, क्या बदल गया प्रतीक चिन्ह?

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन पर बने अशोक स्तंभ का अनावरण किया। अब इस प्रतीक चिन्ह को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है। विपक्ष का आरोप है कि प्रतीक चिन्ह के साथ छेड़छाड़ की गई है। तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने अपने ट्विटर पर नए और पुराने अशोक स्तंभ की तस्वीर शेयर की। इसमें उन्होंने कुछ लिखा नहीं, लेकिन दोनों तस्वीरों को तुलनात्मक रुप से अलग-अलग दिखाने की कोशिश की गई है।

 

अगले ट्वीट में उन्होंने अपना इरादा जाहिर करते हुए लिखा कि सच कहूं तो ‘सत्यमेव जयते’ का ‘सिंहमेव जयते’ में परिवर्तन काफी पहले हो चुका है। उनका इशारा सीधे तौर पर भाजपा और मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली की ओर था। उनके इस ट्‍वीट के बाद विपक्ष के लगातार आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए।

 

 

 

आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सदस्य संजयसिंह ने तो इसे राष्ट्र विरोधी कदम करार दिया। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रीय चिन्ह को बदलने वालों को क्यों नहीं राष्ट्र विरोधी कहा जाए।

 

 

इसे भारत सरकार ने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय स्तंभ के रूप में अपनाया गया था। नए संसद भवन की छत पर बना अशोक स्तंभ यानी राष्ट्रीय प्रतीक ब्रॉन्ज से बना है। इसका वजन 9500 किलो है और उसकी लंबाई 6.5 मीटर है। इस प्रतीक को उच्च गुणवत्ता वाले कांस्य यानी ब्रॉन्ज से बनाया गया है। इसे भारतीय कारीगरों द्वारा पूरी तरह हाथ से बनाया गया है। इस अशोक स्तंभ को बनाने में 100 से ज्यादा कारीगरों ने 9 महीने से ज्यादा समय तक काम किया है।

 

आकाश भगत

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