गंगा दशहरा के दिन स्नान-दान का होता है विशेष महत्व
आज है गंगा दशहरा, हिन्दू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर श्रद्धांलु दान देते हैं।
- जानें गंगा दशहरा के बारे में
गंगा दशहरा के दिन धरती पर मां गंगा अवतरित हुई थीं। इसलिए इस शुभ दिन गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने से 10 तरह के पापों दूर होते हैं। इस साल गंगा दशहरा 09 जून गुरुवार को है। पृथ्वी लोक पर मां गंगा के अवतरण होने की तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था, उस समय हस्त नक्षत्र था। गंगा दशहरा के अवसर पर भगवान शिव की नगरी काशी, हरिद्वार, त्रिवेणी संगम प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर आदि स्थानों पर मां गंगा की पूजा की जाती है तथा स्नान दान किया जाता है। इस अवसर पर गंगा आरती होती है।
- इस गंगा दशहरा बन रहा है यह विशेष योग
इस बार गंगा दशहरे पर हस्त नक्षत्र योग बन रहा है। बताया जाता है कि गंगा मां जब धरती पर अवतरित हुई थीं, तब भी यह विशेष योग बना था। हस्त नक्षत्र का आरंभ 9 जून को सुबह 4 बजकर 31 मिनट पर होगा और इसका समापन 10 जून को सुबह 4 बजकर 26 मिनट पर होगा। गंगा दशहरे के दिन इस बार रवि योग भी रहेगा। माना जाता है कि रवि योग में किया गया दान और अन्य शुभ कार्य बेहद शुभफलदायी होते हैं।
- गंगा दशहरा पर है दान का विधान
गंगा दशहरा ऐसे वक्त में मनाया जाता है कि जब कि गर्मी अपने चरम पर होती है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को ठंडी चीजों का दान आपको विशेष पुण्य की प्राप्ति करवाता है। इस अवसर पर सुराही, पंखा, वस्त्र, चप्पल, छाता, खरबूजा, कच्चे आम और पके आम आदि चीजों का दान करना सबसे उत्तम माना जाता है। इसके अलावा इस दिन आप आटा, चावल, घी, सब्जियां और नमक का भी दान कर सकते हैं।
- दान की महत्ता
इस दिन सत्तू का दान और मां गंगा का पूजन का विशेष महत्व है। गंगा दशहरा पर राष्ट्र कल्याण के लिए विशेष यज्ञ करना चाहिए, मंत्रों का जाप करना चाहिए और साधना उपासना करनी चाहिए। इस दिन पूजा-पाठ जप तप साधना उपासना गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मां गंगा की विशेष महिमा है। पूजा पाठ में गंगा जल के बिना कुछ भी नहीं होता इसलिए मां गंगा का हमेशा आशीर्वाद लेना चाहिए।
- गंगा आरती की विधि
हिन्दू धर्म में गंगा दशहरा का खास महत्व है। गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की आरती की जाती है। इसके लिए पत्ते वाले एक दोने में फूल और दीपक रखते हैं। घी के दीपक को जलाते हैं। फिर मां गंगा को प्रणाम करके उनकी आरती उतारते हैं, उसके पश्चात उस दीप और फूल को मां गंगा के चरणों में अर्पित कर देते हैं।
- गंगा दशहरा से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में अयोध्या में राजा भागीरथ हुआ करते थे। वह भगवान श्रीराम के पूर्वज भी माने जाते हैं। राजा भागीरथ के पूर्वजों की मुक्ति के लिए गंगा के जल में उनका तर्पण करने की जरूरत थी। उस समय गंगा नदी सिर्फ स्वर्ग में बहती थी। भागीरथ के दादा और पिता ने गंगा को धरती पर लाने के लिए कई सालों तक तपस्या की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद राजा भागीरथ भी हिमालय में चले गए और कठोर तपस्या में लीन हो गए।
एक दिन गंगा देवी भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो गईं और उन्होंने धरती पर आने का आग्रह स्वीकार कर लिया। मगर भागीरथ के सामने एक दुविधा आ खड़ी हुई। दरअसल, गंगा का वेग इतना ज्यादा था कि उसके धरती पर कदम रखते ही तबाही का खतरा हो सकता था। सिर्फ महादेव यानी भगवान शिव में गंगा के वेग को नियंत्रित करने की शक्ति थी।
- गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। इस बार हस्त नक्षत्र 9 जून को सुबह 4 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर 10 जून को सुबह 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
- इन चीजों के बिना गंगा दशहरा की पूजा रहेगी अधूर
हिन्दू धर्म में गंगा स्नान और दान का हमेशा से महत्व रहा है, परन्तु गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने और दान देने से व्यक्ति को सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि गंगा दशहरा के दिन व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी में जाकर स्नान, ध्यान और दान करना चाहिए। इससे व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। पंडितों की मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन स्नान के बाद दस चीजों का दान अवश्य करना चाहिए। इनके दान से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। जीवन की तमाम समस्याओं से निजात मिल जाता है। इस दिन ये 10 चीजें -जल, अन्न, फल, वस्त्र,पूजन व सुहाग सामग्री, घी, नमक, तेल, शकर और स्वर्ण का दान अवश्य करना चाहिए।
– प्रज्ञा पाण्डेय