बिना आंसू की गणित, चुटकियों में मिल जाते हैं सवालों के हल
वैदिक गणित विशेषज्ञ एवं प्रचारक रघुवीर सिंह सोलंकी का कहना है कि वैदिक गणित गणना की ऐसी तकनीक है, जिससे जटिल अंकगणितीय गणनाएं अत्यंत ही सरल, सहज व त्वरित संभव हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो गणित के सवाल हम चुटकियों में हल कर सकते हैं। यह पूर्ण रूप से भारतीय विधा है, जो कि 16 सूत्रों व 13 उपसूत्रों पर आधारित है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, क्षेत्रीय कार्यालय, कोटा के रिसोर्स पर्सन सोलंकी वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि पुरी के शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी (1884-1960) ने ग्रंथों का गहन अध्ययन कर 1911 से 1919 तक शोध कार्य किया। इसके परिणामस्वरूप उन्होंने गणना की ऐसी विधियां ज्ञात कीं जिनसे गणनाएं छोटी, सरल, रोचक एवं त्वरित हो जाती हैं। उन्होंने इन विधियों को 16 सूत्रों एवं 13 उपसूत्रों में पिरोया और ‘वैदिक मैथेमेटिक्स’ नामक ग्रंथ का कीर्तिस्तंभ दिया।
चुटकियों में सवालों के हल : सोलंकी कहते हैं कि वैदिक गणित सूत्र संस्कृत में हैं, परंतु इनके अर्थ बहुत ही आसान हैं। सरलता से इनका उपयोग किया जाता है। संख्याओं के अंकों के स्वभाव के अनुसार सूत्रों का उपयोग किया जाता है ताकि कम से कम समय में गणना की जा सके। वैदिक गणित बहुत ही आसान विधा है, जिसको बिना संस्कृत के ज्ञान के सीखा जा सकता है। सूत्रों की सहायता से बड़ी से बड़ी जटिल गणनाएं छोटी व रोचक हो जाती हैं, जिससे आसानी से मौखिक हल तुरंत संभव हो जाता है।
पर्यावरण की रक्षा : उन्होंने कहा कि यह विधियां समय व कागज दोनों की बचत करती है। इनमें रफ़ कार्य करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती। कागज बनाने में पौधों में उपस्थित सेल्युलोज के रेशों का उपयोग किया जाता है। अतः हम कागज़ को बचाएंगे तो पेड़ों को बचाएंगे, जिससे पर्यावरण की रक्षा भी होगी।
अतः वैदिक गणित के उपयोग से पर्यावरण की भी रक्षा होगी। सीधा एक लाइन में उत्तर मिल जाता है। तत्काल हल निकलता देख बच्चे भी कह उठते हैं कि यह ‘गणित है या जादू’। इसको ‘बिना आंसू की गणित’ भी कहते हैं। अर्थात इस विधि से बहुत ही आसानी से और बिना किसी दिक्कत के सवाल हल हो जाते हैं। यह विधा बौद्धिक विकास भी तेजी से करती हैं। इसलिए इसे ‘मानस गणित’ भी कहा जाता है।
समय की बचत : सोलंकी कहते हैं कि जब वैदिक गणित के सूत्रों से गणनाएं की जाती हैं तो समय की काफी बचत होती है। विद्यार्थी तनावमुक्त हो जाते हैं। कागज की बचत भी होती है। इन्हीं विशेषताओं के कारण दैनिक हिसाब करने व प्रतियोगी परीक्षाओं में सवालों की गणना में समय की बचत करने की यह सर्वोत्तम विधि है और बच्चे परीक्षा में तनावमुक्त भी रहते हैं। बचे समय का उपयोग अन्य विषयों के प्रश्नों को हल करने में किया जा सकता है।
बच्चे जब किशोरावस्था से ही इसे सीख लेते हैं तो वे जब तेजी से हिसाब करने लग जाते है तो अभिभावकों को लगता है कि हमारे बच्चे गणित में एक्सपर्ट हो गए हैं। त्वरित गणना में सूत्र एकाधिकेन पूर्वेन, एक न्यूनेन पूर्वेन व निखलं बड़े महत्वपूर्ण हैं। गुणन या भाजन में एकन्यूनेन पूर्वेन का सूत्र का उपयोग करते ही तुरंत सीधा एक लाइन में उत्तर मिल जाता है, जिसके लिए किसी भी संख्या का पहाड़ा बोलने की आवश्यकता नही पड़ती।
जैसे : 9460569737×9999999999
=94605697360539430263
इस उदाहरण को करने में एक न्यूनेन पूर्वेन सूत्र का उपयोग किया है। बाईं ओर की संख्या में से एक कम करके उत्तर का बायां हिस्सा प्राप्त किया। बाकी दायां हिस्सा प्राप्त करने हेतु उत्तर के प्रत्येक अंक को 9-9 से घटाकर प्राप्त किया। (जैसे: 9-9=0,9-4=5,9-6=3 आदि।)
इस उदाहरण में निखिलं सूत्र का उपयोग किया गया है। भागफल प्राप्त करने हेतु सबसे पहले 1 लिखा। फिर 1+0=1,1+2=3, 3+3=6,6+0=6,6+0=6 तथा अंत मे 6+2=8 लिखा। उत्तर में एक अंक के पहले दशमलव लगाकर भागफल 113666.8 प्राप्त किया।
9996×9994
=99900024
इस उदाहरण में दाईं ओर के अंकों का योग 6+4=10 है तथा शेष अंक (999) समान है तो इसका तुरंत हल प्राप्त करने हेतु सूत्र एकाधिकेन पूर्वेन का उपयोग किया गया। उत्तर के लिए दाईं ओर 6×4=24 लिखा तथा बाईं ओर को सूत्रानुसार 999×1000=999000 लिखा।
सोलंकी कहते हैं कि वैदिक गणित कक्षा 6 से सीखना उचित है। मैं वर्ष 2006 से वैदिक गणित को लोकप्रिय बनाने हेतु इसका प्रचार-प्रसार कर रहा हूं। अब तक अब तक 80 से अधिक वैदिक गणित की कार्यशालाएं की हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से सरकारी शिक्षकों को वैदिक गणित का प्रशिक्षण दे रहा हूं। राजस्थान में कोटा, जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, झुंझुनूं सहित एक दर्जन जिलों में तथा मप्र में इंदौर, देवास (पुष्पगिरी तीर्थ), उज्जैन और यूपी में मथुरा, झांसी में कार्यशालाएं कर वैदिक गणित का प्रशिक्षण दिया है।
उन्होंने कहा कि वैदिक गणित को NCERT पाठ्यक्रम में कक्षा 6 से शामिल करवाने हेतु भी प्रयासरत रहा हूं। राजस्थान में वैदिक गणित को कक्षा 3 से 10वीं तक शामिल किया हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी स्वयं इसमें रुचि ले रहे हैं। 26 जुलाई 2021, 24 अप्रैल 2022 को प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में तथा 1 अप्रैल 2022 को ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में वैदिक मैथ्स की विशेषताओं को विद्यार्थियों को बताया और बच्चों को वैदिक मैथ्स सीखने की राय दी।