Suicidal Tendency… आखिर क्यों जिंदगी से हार रहे लोग
इंदौर, बेरोजगारी, घेरलू तनाव, प्रेम प्रसंग, मानिसक बीमारियां और आत्महत्या। इन सबका आपस में बेहद गहरा संबंध है। देशभर में सुसाइड के मामले बढ़े हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेश में जीवन लीला समाप्त करने का ग्राफ उछला है।
चिंता की बात है कि मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में भी सुसाइड में इजाफा हो रहा है। पिछले कुछ सालों में यहां सुसाइडल मानसिकता बढ़ी है। लगभग रोजाना किसी न किसी की आत्महत्या की खबर आती है, बाद में पता चलता है कि मरने की वजह बेदह मामूली थी।
हाल ही में राजेन्द्र नगर थाना क्षेत्र में प्रधान आरक्षक मोहन सोलंकी ने पुलिस लाइन में अपने सरकारी क्वार्टर में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। सुसाइड के कारणों को अभी खुलासा नहीं हो सका है। मृतक के पास से किसी तरह का सुसाइड नोट नहीं मिला है, हालांकि पिछले कुछ दिनों से वो तनाव में था और अपने सहकर्मियों से भी बात नहीं करता था।
दरअसल, तेजी से बढ़ते और बदलते इंदौर में पिछले कुछ सालों में आत्महत्या के मामलों में इजाफा हुआ है। इसके पीछे हालांकि कई वजहें हैं, लेकिन मानसिक तनाव भी एक बड़ी वजह बताई जा रही है।
- 40 लोग रोज करते हैं आत्महत्या
मध्यप्रदेश में युवाओं की आत्महत्याओं के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यहां 40 लोग रोज आत्महत्या कर रहे हैं। समस्या यह है कि मध्यप्रदेश सरकार के पास आत्महत्याओं को रोकने के लिए काउंसलिंग जैसी कोई हेल्पलाइन भी नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है की अच्छी काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन यदि राज्य सरकार के पास हो तो 50% मेंटल केसेस सुधारे जा सकते हैं।
- क्या कहती है NCRB की रिपोर्ट?
एक्सीडेंट, मौत और सुसाइड रिपोर्ट 2020 के मुताबिक मध्यप्रदेश राज्यों में सबसे आगे है, जहां पर आत्महत्या के मामले सबसे ज्यादा हैं और राजधानी भोपाल में रोजाना एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। कमोबेश यही हाल इंदौर का है। इंदौर में आमतौर पर सुसाइड की बेहद मामूली वजह सामने आई हैं, इनमें पति पत्नी के बीच मामूली सी नौकझौंक, मेडिकल कॉलेज में रैगिंग, फिल्मों में काम नहीं मिला, प्रेमी से शादी नहीं करने देना, परीक्षा में फेल होना, ऑफिस में तनाव और डिप्रेशन जैसी वजहें शामिल हैं।
- राजधानी भोपाल का हाल
एमपी के भोपाल में सुसाइड डेटा की बात करें तो ये बेहद चौकाने वाले हैं। साल 2022 में 27 जनवरी तक के आंकड़े खौफनाक तस्वीर पेश करते हैं। इसके तहत 2021 से लेकर जनवरी 2022 तक 452 टीनएजर्स ने मौत को गले लगा लिया। इसी तरह 2020 में 485 लोगों ने आत्महत्या की। 2019 में 414 लोगों की मौतें हुईं वहीं 2018 में 480 लोगों ने सुसाइड कर लिया। साल 2017 का आंकड़ा सबसे ज्यादा डराने वाला था। इस साल 486 लोगों ने मौत को लगे लगा लिया।
- एमपी में आत्महत्या के आकड़ें
दरअसल, यह चिंता वाली बात है कि मध्यप्रदेश में सुसाइड करने वालों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आत्महत्या के मामलों में मध्य प्रदेश में 17% बढ़ोतरी हुई है।
मध्यप्रदेश में 2020 में सुसाइड के 14 हजार 578 मामले सामने आए, जबकि 2019 में 12 हजार 457 लोगों ने सुसाइड किया था। इसमें सबसे अधिक चिंताजनक छात्रों के आंकड़ें हैं।
MP में 2020 में 5 हजार 579 छात्रों ने सुसाइड किया। इसमें स्कूली बच्चों से लेकर उच्चशिक्षा हासिल करने वाले छात्र शामिल हैं। प्रदेश में भोपाल में सुसाइड के मामले 17.8% बढ़े, जबकि इंदौर में 4.2% की वृद्धि हुई। वहीं, जबलपुर में 19.9% की सुसाइड के केस में कमी आई। प्रदेश में 2020 में 9 हजार 663 पुरुष, जबकि 4 हजार 915 महिलाओं ने सुसाइड किया है।
- 2 हजार 887 छात्रों ने किया ‘सुसाइड’
मध्यप्रदेश में 2020 में 5वीं से 10वीं कक्षा तक पढ़ने वालों में 2 हजार 887 छात्रों ने सुसाइड किया था। इनमें 1 हजार 944 छात्र जबकि 943 छात्राएं हैं, जबकि 10वीं से 12वीं के बीच 2045 छात्रों ने खुदकुशी की है। इस तरह स्नातक, स्नातकोत्तर के 533 छात्र, वहीं, डिप्लोमा के 144 छात्रों ने सुसाइड किया। कुल 5 हजार 579 छात्रों ने अलग-अलग वजहों से जान दी।
इंदौर में ‘सुसाइड के कारण’
इंदौर में सुसाइड के कई बार बेहद मामूली कारण सामने आए
पति पत्नी के बीच मामूली सी नौकझौंक
मेडिकल कॉलेज में रेगिंग
फिल्मों में काम नहीं मिला
प्रेमी से शादी नहीं करने देना
परीक्षा में फेल होना
ऑफिस में तनाव
डिप्रेशन
मध्यप्रदेश में सुसाइड की स्थिति
मध्यप्रदेश में 17 प्रतिशत बढ़े सुसाइड के मामले
भोपाल में 17. 8 प्रतिशत इजाफा
इंदौर में 4.2 प्रतिशत इजाफा
75% मानसिक रोग 24 की उम्र में हो जाते हैं शुरू
क्या हैं सुसाइड के प्रमुख कारण
घरेलू तनाव और बीमारी बनी वजह
परीक्षा में असफलता
प्रेम प्रसंग
गरीबी और बेरोजगारी
नशा और अवैध संबंध