सरकारी विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा का अलख जगा रहे सैकड़ों शिक्षक हुए बेरोजगार, काम न आया शिक्षा मंत्री का आश्वासन

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  • सेवा विस्तारीकरण की मांग हुई तेज़
  • आईसीटी कर्मियों ने शिक्षण कार्य के अलावा चुनाव कार्यों में भी बिना पारिश्रमिकी के किया है कार्य
  • कई मंत्रियों ने दिया सिर्फ आश्वासन
  • कई बार राजधानी में कर चुके है धरना प्रदर्शन

झारखण्ड/राँची (आकाश भगत) : झारखण्ड राज्य में नवीन रोजगार के अवसर सृजित कर युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के स्थान पर सेवारत कर्मियों को ही सेवामुक्त करके कर्मियों के समक्ष भूखमरी की स्थिति पैदा करने का कौशल वर्त्तमान सरकार की उपलब्धियों में सम्मिलित है।

 

 

 

  • क्या है मामला

बताते चलें कि विगत अप्रैल 2017 में ILFS (जो अब SchoolNet) कंपनी के माध्यम से झारखण्ड के बोकारो, चतरा, देवघर, धनबाद, दुमका, गिरिडीह, गोड्डा, हजारीबाग, जामताड़ा, कोडरमा, पाकुड़, रामगढ़, साहेबगंज के कुल 257 विद्यालयों में क्रमशः 27, 08, 21,49 ,16, 16, 21, 32, 16,11, 11, 22 और 14 आईसीटी लैब अधिष्ठापन और लैब के संचालन हेतु स्कूल कोऑर्डिनेटर्स (कुल 257) की नियुक्ति पाँच वर्षों के लिए अनुबंध पर अप्रैल 2022 तक के लिए की गई थी।

 

 

अब अनुबंध समाप्ति होते ही लैब उपकरणों को संबंधित विद्यालय प्रधान/प्रभारी प्रधानाध्यापक को हस्तांतरित करने की चिट्ठी झारखण्ड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा जारी कर दी गई है। लेकिन जिस संपूर्ण परियोजना के संचालन में पाँच वर्षों तक आईसीटी कोऑर्डिनेटर्स की अथक और समर्पित सेवा जुड़ी रही, उन्हीं कर्मियों का जेईपीसी की चिट्ठी में उनकी सेवा का अग्रेत्तर विस्तारण तो दूर की बात, उनका उल्लेख तक न होना अत्यंत दुःख का विषय है।

 

 

विदित हो कि इन कोर्डिनेटर्स का जॉब-रोल विद्यालय के छात्र-छात्राओं को कम्प्यूटर की शिक्षा प्रदान करना तथा विद्यालय प्रधान के आदेश पर कम्प्यूटर आधारित अन्य कार्यों का निष्पादन करना था जिसका अक्षरशः अनुपालन कर्मियों द्वारा हर समय किया गया। विद्यालय में कंप्यूटर की शिक्षा के कारण न केवल छात्र-छात्राओं के लिए विद्यालय उनकी रुचि का केंद्र बना बल्कि नामांकन में भी बढ़ोतरी हुई। जो ग्रामीण बच्चे टेक्नोलॉजी की ‘कखग’ नहीं जानते थे वही बच्चे अब न केवल ऑनलाइन उपलब्ध ई-बुक, ई-कंटेंट्स से अध्ययन कर रहे हैं बल्कि ऑनलाइन पैमेंट, ऑनलाइन टिकट बुकिंग और विविध ऑनलाइन यूटिलिटीज का भी कुशलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं।

 

 

 

 

  • वैश्विक महामारी में भी निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

वैश्विक महामारी कोविड काल में जब सभी विद्यालय बंद हो गए और विद्यालय-छात्र के बीच सम्पर्क शून्यता की स्थिति पैदा हो गई तो उस विकट काल में बच्चों को विभिन्न एप्स का उपयोग करने का प्रशिक्षण देकर ऑनलाइन माध्यम से निर्बाध पढ़ाई करवाने में आईसीटी कोऑर्डिनेटर की महती भूमिका रही। इस महामारी काल में भी इनकी भूमिका विद्यालय और छात्रों के बीच एक सेतु की रही। इसी कड़ी में जेईपीसी द्वारा प्रदत्त ई-कंटेंट्स, यूट्यूब आधरित मल्टी मीडिया क्लासेज द्वारा सभी विषयों की पढ़ाई विद्यालय में होने के कारण न केवल बच्चों की पढाई में रुचि बढ़ी बल्कि उनका शीघ्र अधिगम भी सुनिश्चित हुआ। विद्यालय में आईसीटी परियोजना के क्रियान्वित होने के ठीक बाद से ही विद्यालय के स्टूडेंट्स एडमिशन डेटा एंट्री, जैक परीक्षाओं का पंजीयन, फॉर्म फिल-अप, विभिन्न स्कालरशिप आवेदन आदि समेत विविध कार्यालयी कार्यों का निष्पादन इन्होंने बखूबी किया है। शिक्षा विभाग द्वारा भी अन्यान्य डेटा एंट्री, संकल्प मिशन के सफल संचालन में सहयोग और चुनाव कार्यों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। लैब हस्तांतरण की चिट्ठी के साथ ही परियोजना कर्मियों की स्वतः सेवामुक्ति हो जाने से कर्मियों के समक्ष उत्पन्न भूखमरी की स्थिति के मद्देनजर कर्मियों के द्वारा राजधानी में राजभवन के समक्ष धरना-ज्ञापन आदि देकर सरकार से सेवा विस्तारण हेतु माँग की जा रही है। ध्यातव्य हो कि इसी कड़ी में कर्मियों के प्रतिनिधि मंडल द्वारा सेवा विस्तारण के उद्देश्य से शिक्षामंत्री से की गई एक शिष्ट मुलाकात में शिक्षामंत्री ने नौकरी न जाने का आश्वासन देते हुए कहा कि “पूर्व के सरकार के पापों को धोने का काम हमारी सरकार कर ही रही है, इसलिए आईसीटी कर्मियों को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, किसी की भी नौकरी नहीं जाएगी।” पर शायद ये आश्वासन ही रह गया, सैकड़ों की तादाद में इन कर्मियों की सुधि लेने वाला अब कोई नहीं।

 

 

 

आईसीटी और डिजिटल पहल योजना
आईसीटी योजना के तहत प्रगति का सारांश

क्रमांक   स्वीकृति का वर्ष     स्कूल की संख्या
1)         2014-15              465
2)         2017-18              449
3)         2018-19                61

कुल                                    975

 

 

 

  • स्कूलों में आईसीटी के कार्यान्वयन का विवरण

शिक्षा क्षेत्र में आईसीटी की उभरती और महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में विश्व स्तर पर और साथ ही पूरे भारत में नीति निर्माताओं के बीच जागरूकता बढ़ रही है। डिजिटल डिवाइड मुद्दों को संबोधित करने के लिए व्यापक मान्यता है। स्कूल और कक्षा में आईसीटी का एकीकरण, स्कूल और कक्षा दोनों स्तरों पर शैक्षिक वितरण तंत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन की गारंटी देता है। भारत सरकार ने स्कूलों को शिक्षा में विभिन्न आईसीटी उपकरणों का उपयोग करने में सक्षम बनाने और सरकारी स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों को डिजिटल साक्षरता प्रदान करने के लिए आईसीटी @ स्कूल योजना की शुरुआत की।

 

 

 

 

झारखण्ड सरकार केंद्र सरकार को लागू कर रही है। अपनी स्थापना के समय से ही प्रायोजित राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा कार्यक्रम के लिए आईसीटी टूल्स के साथ इसे जोड़कर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया है।

 

 

 

  • 465 सरकारी स्कूलों में योजना का क्रियान्वयन (2014-15 में स्वीकृत)

केंद्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत चयनित 465 सरकारी स्कूलों में अप्रैल 2017 से आईसीटी @ स्कूल योजना लागू की जा रही है। माध्यमिक/वरिष्ठ झारखंड के माध्यमिक विद्यालय। यह योजना बूट मॉडल में क्रियान्वित की जा रही है। दो एजेंसियां ​​(1) आईएल एंड एफएस एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी सर्विसेज लिमिटेड, मुंबई और  (2) रिको इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली को पारदर्शी ई-प्रोक्योरमेंट पद्धति के माध्यम से चुना गया था और उनके साथ दिसंबर 2016 के महीने में स्कूलों में आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना और आवश्यक सेवाओं (जनशक्ति सेवाओं सहित) के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। जैसे प्रत्येक स्कूल के लिए स्कूल समन्वयक और प्रत्येक जिले के लिए जिला समन्वयक) आईसीटी सक्षम शिक्षा प्रदान करने के लिए। 208 स्कूल रिको इंडिया लिमिटेड को सौंपे गए हैं और बाकी 257 स्कूल आईएल एंड एफएस एजुकेशन लिमिटेड को सौंपे गए हैं।

 

510 सरकारी स्कूलों में योजना का कार्यान्वयन (2017-18 और 2018-19 में हुई है स्वीकृत)

 

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