भोजपुरी, मगही को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हटाने का फैसला झारखंड के हित में नहीं : नीतीश
पटना| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धनबाद और बोकारो जिले की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाने के झारखंड सरकार के फैसले को आश्चर्यजनक करार देते हुए शनिवार को कहा, ‘यह निर्णय संबंधित राज्य के हित में नहीं है।’
नीतीश ने नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, ‘यह फैसला बेहद चौंकाने वाला है। क्या भोजपुरी और मगही सिर्फ एक ही राज्य की हैं।यूपी में भी भोजपुरी बोली जाती है, अगर कोई ऐसा कर रहा है तो मुझे नहीं लगता कि यह राज्य के हित में किया जा रहा है। मुझे नहीं पता कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।’
उन्होंने कहा कि बिहार और झारखंड भाई हैं।
झारखंड सरकार ने शुक्रवार को व्यापक विरोध के बीच धनबाद और बोकारो की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को हटा दिया था।
बिहार के मुख्यमंत्री ने हालांकि, बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में बिहार विधानसभा के मुख्य द्वार के सामने बनाए जा रहे स्तंभ के शीर्ष पर स्वास्तिक चिह्न के उपयोग को लेकर विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘बिहार विधानसभा के अध्यक्ष इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी हैं। यह बिल्कुल भी कोई मुद्दा नहीं है।’
गौरतलब है कि बिहार में मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अशोक चक्र के स्थान पर विधानसभा परिसर में प्रस्तावित शताब्दी स्तंभ पर स्वास्तिक चिह्न अंकित करने के नीतीश सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था।