क्या चीन की मदद से बना JF-17 भारत के राफेल को दे सकता है टक्कर? पाकिस्तानी दावे की पोल खोलने वाली रिपोर्ट

0

पाकिस्तान के जेएफ-17 थंडर फाइटर जेट की तुलना वैसे तो राफेल से हो नहीं सकती। क्योंकि इसकी टक्कर में तो हमारा स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस ही काफी है। लेकिन राफेल की तुलना इसलिए क्योंकि चीन और पाकिस्तान इसे राफेल के सामने प्रोजेक्ट कर रहे हैं। इसका पहला बैच पाकिस्तान को जल्द मार्च के महीने में मिलने वाला है। जेएफ 17 छंडर ब्लॉक को लेकर दावा है कि वो बहुत ही अत्याधुनिक हलके वजन का हर मौसम में उड़ान भरने वाला मल्टी रोल फाइटर एयकक्रॉफ्ट है। जो हवा से हवा और हवा से जमीन पर लड़ाई करने के लिए बनाया गया है। 

 27 साल पुराना समझौता

इसे पाकिस्तान एरनॉटिक्स कॉप्लेक्स और चेंगदू एयर क्राफ्ट  इंडस्ट्री ने मिलकर बनाया है। साल 1995 में पाकिस्तान और चीन के बीच जेएफ 1 बनाने को को लेकर एक समझौता हुआ। इसके लिए पूरी तकनीक चीन की तरफ से पाकिस्तान को उपलब्ध कराई गई। विमान का पहला परीक्षण मॉडल साल 2003 में बनकर तैयार हुआ। पाकिस्तानी वायु सेना ने 2010 में पहले जेएफ 17 को अपने बेड़े में शामिल किया। 

इसे भी पढ़ें: लड़के की आस में पाकिस्तानी गर्भवती महिला के सिर में ठोंकी गयी कील, पीर बाबा ने दी थी बेटा पैदा करने की गारंटी

राफेल के सामने जेएफ-17 की ताकत

राफेल की रेंज कॉम्बेट रेडियस 3800 किमी और कॉम्बेट रेंज 1850 किमी है। जबकि जेएफ 17 थंडर ब्लॉक की  कॉम्बेट रेडियस 3500 से 3840 है। इसकी कॉम्बेट रेंज 1500 किमी से 1800 किमी ही हैं। यहां पर राफेल की क्षमता ज्यादा है। राफेल हवा में 304.8 मीटर प्रति सेकेंड की गति से ऊपर जाता है। जबकि जेएफ 17 की रेट ऑफ क्लाइंब 300 मीटर प्रति सेकेंड है। राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगती हैं। चीन के जेएफ 17 जेट में छह तरीके की हवा से हवा में मारने वाली मिसाइल। पांच तरीके से हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल और पांच तरीके से एंटी शिप मिसाइल लगाई जा सकती है। या इन तीनों का कॉम्बिनेशन बनाया जा सकता है। वहीं राफेल में हार्ड प्वाइंट्स यानी हथियारों को लगाने के 14 प्वाइंट्स हैं। इसमें बम और मिसाइल बनाने की क्षमता ज्यादा है। जबकि जेएफ 17 में केवल 11 प्वाइंट्स ही हैं। 

चीन-पाक गठजोड़ भारत के लिए बना हुआ है खतरा

रणनीतिक उद्देश्यों के लिए पाकिस्तान को अपने विंग के तहत रखते हुए और अरब सागर तक पहुंचने के लिए, चीन ने रावलपिंडी को न केवल हथियारों की आपूर्ति कर रहा है बल्कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश में बाधा उत्पन्न की है और अफगानिस्तान में काम करने वाले निर्दोष भारतीयों को वैश्विक रूप से सूचीबद्ध करने की कोशिश की है। चीन कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के साथ नियमित रूप से पक्ष रखता है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा ज्ञात पैन-इस्लामिक जिहादी समूहों या उनके नेताओं को आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के किसी भी प्रयास को वीटो करता है। 

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed