बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव के साथ शुरू हुई फागुनी बयार, शिवरात्रि तक निभाई जायेंगी शादी से जुड़ी परंपराएं

वाराणसी। बसंत पंचमी की तिथि पर शनिवार शाम को बाबा विश्वनाथ के तिलक उत्सव के परंपरा को टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर पूर्ण की गयी। शहनाई की मंगल धुन, डमरूओ की गूंज से महंत आवास मानो कैलाश में परिवर्तित हो गया था। भोर में बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगला आरती उतारी गई।

ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक किया गया। बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया गया। उसके उपरांत पांच वैदिक ब्राह्मणों ने पांच प्रकार के फलों के रस से रुद्राभिषेक किया। 

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दोपहर को बाबा को स्नान कराया गया। 12:00 से 12:30 बजे तक मध्याह्न भोग अर्पण एवं आरती की गई। महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाये गए। 02:30 से 04:45 बजे तक शृंगार के लिए कक्ष के पट बंद कर दिए गए। वाचस्पति तिवारी और संजीव रत्न मिश्र ने बाबा का दूल्हा के रूप में शृंगार किया। संध्या आरती एवं भोग के बाद भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। भक्तों ने बाबा का दूल्हा स्वरूप में दर्शन किया। 

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