क्या है श्रीराम और जटायु की अद्भुत कहानी, जिसका जिक्र पीएम मोदी ने कहा- भेदभाव वाली सोच का आधार धर्म नहीं हो सकता

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शमशाबाद में 11 वीं शताब्दी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में 216 फीट ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी’ का अनावरण किया। इस दौरान पीएम मोदी ने  श्रीराम और जटायु की अद्भुत कहानी का उल्लेख किया।

 

 

 

 

रामानुजाचार्य जी के गुरु श्री महापूर्ण जी ने एक बार दूसरी जाति के अपने मित्र का अंतिम संस्कार किया था। उस समय रामानुजाचार्य जी ने लोगों को भगवान श्री राम की याद दिलाई थी। उन्होंने कहा कि अगर भगवान राम अपने हाथों से जटायु का अंतिम संस्कार कर सकते हैं तो फिर भेदभाव वाली सोच का आधार धर्म कैसे हो सकता है। ये अपने आप में बहुत बड़ा संदेश है। हमारी संस्कृति कि ये विशेषता रही है कि सुधार के लिए हमारे समाज के भीतर से ही लोग निकलते हैं। युगों से देखते आइए। समाज में जब भी कुछ बुराई के तत्व फैलने लगते हैं। कोई न कोई महापुरुष हमारी बीच में से पैदा होता है।

 

 

 

 

  • क्या थी पूरी कहानी

लंकापति रावण द्वारा माता सीता का हरण करके पुष्पक विमान में ले जाने के वक्त गिद्धराज जटायु ने उसे रोकने की भरपूर कोशिश की थी। वृद्ध जटायु ने रावन से युद्ध भी किया था लेकिन उसे रावण द्वारा घायल कर दिया गया। जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई, जो ताकेड गांव में आज भी मौजूद है। इस स्थान को सर्वतीर्थ कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार जटायु ने मरणासन्न अवस्था में मां सीता के बारे में यहीं पर प्रभु राम को जानकारी दी थी। बाद में प्रभु राम ने यहीं पर अंतिम संस्कार करके जटायु का श्राद्ध-तर्पण किया था।

 

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