आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में बोले PM मोदी, विषम काल में भी देश अपना मूल स्वभाव नहीं छोड़ता
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्रह्मकुमारी संस्था के द्वारा आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर, कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है। इस कार्यक्रम में स्वर्णिम भारत के लिए भावना भी है, साधना भी है। इसमें देश के लिए प्रेरणा भी है, ब्रह्मकुमारियों के प्रयास भी हैं।
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उन्होंने कहा कि मैं देश के संकल्पों और सपनों के साथ निरंतर जुड़े रहने के लिए ब्रह्मकुमारी परिवार का बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि जब संकल्प के साथ साधना जुड़ जाती है, जब मानव मात्र के साथ हमारा ममभाव जुड़ जाता है। अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिए ‘इदं न मम’ भाव जागने लगता है तो समझिए हमारे संकल्पों के जरिए एक नए कालखंड का जन्म होने वाला है। एक नया सवेरा होने वाला है। सेवा और त्याग का यही अनुभव आज अमृत महोत्सव में नए भारत के लिए उमड़ रहा है। इसी त्याग और कर्तव्य भाव से करोड़ों देशवासी आज स्वर्णिम भारत की नींव रख रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे और राष्ट्रे के सपने अलग-अलग नहीं हैं। हमारे निजी और राष्ट्र की सफलताएं अलग-अलग नहीं हैं। राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है। हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है। ये भाव, ये बोध नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है। आज देश जो कुछ कर रहा है उसमें सबका प्रयास शामिल है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास, यह सब देश का मूल मंत्र बन रहा है। उन्होंने कहा कि आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता औऱ सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो, हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं।
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भारत अपना मूल स्वभाव नहीं छोड़ता
उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत यह है कि कैसा भी समय आए, कितना भी अंधेरा छाए, भारत अपने मूल स्वभाव को बनाए रखता है। हमारा युगो-युगो का इतिहास इस बात का साक्षी है कि दुनिया जब अंधकार के दौर से और गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मात्र शक्ति की पूजा देवी के रूप में करता था। हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियाँ समाज को ज्ञान देती थीं। कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं। अमृत महोत्सव में देश जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है, उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिये हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी। आज देश लाखों स्वाधीनता सेनानियों के साथ नारी शक्ति के योगदान को याद कर रहा है और उनके सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहा है। इसलिए आज सैनिक स्कूलों में पढ़ने का बेटियों का सपना पूरा हो रहा है। अब देश की कोई भी बेटी राष्ट्र रक्षा के लिए सेना में जाकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां उठा सकती हैं।
महिलाओं की बढ़ रही भागीदारी
उन्होंने कहा कि महिलाओं का जीवन और करियर एक साथ चले इसके लिए मात्र अवकाश बढ़ाने जैसे फैसले भी किए गए। देश के लोकतंत्र में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। साल 2019 के चुनावों में हमने देखा कि कैसे पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया। आज देश की सरकार में बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां महिला मंत्री संभाल रही हैं। अब समाज इस बदलाव का नेतृत्व खुद कर रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि समाज अब खुद इन बदलावों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। हाल के आंकड़ों से पता चला है कि बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान से देश में स्त्री, पुरुष का अनुपात भी बेहतर हुआ है। यह बदलाव इस बात का स्पष्ट संकेत है कि नया भारत कैसा होगा, कितना शक्तिशाली होगा।
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उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है, अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है, और साथ ही, टेक्नोलॉजी, इनफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ की व्यवस्थाओं को निरंतर आधुनिक भी बनाना है।
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