बीजीआर को आई विस्थापितों की याद, बांटा कंबल
झारखण्ड/पाकुड़, अमड़ापाड़ा : पचुवाड़ा नोर्थ कोल ब्लाॅक में कोयला उत्खनन करने वाली कंपनी बीजीआर इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड को आज विस्थापितों की याद आई। कंपनी द्वारा प्रभावित ग्रामीणों के बीच आज कंबल का वितरण किया गया।
ज्ञात हो कि लगातार विस्थापित ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए आवाज़ उठाते रहते है। सीएसआर के तहत भी कंपनी कार्य करने में है पीछे।
- क्या है सीएसआर ?
सीएसआर अर्थात कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी वास्तव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत को व्यवहार में उतारने का एक माध्यम है। गांधी जी ने परिकल्पना की थी कि उद्योगपति तथा धनवान लोग अपने धन के ट्रस्टी बनकर सामाजिक उत्तरदायित्व के निर्वहन के लिए काम करेंगे। वे स्वयं को अपने धन का मालिक नहीं अपितु उसका ट्रस्टी अर्थात रखवाला या चौकीदार मात्र ही समझेंगे। करोड़ों रुपए प्रति वर्ष कमाने वाले उद्योग पतियों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए।
मौके पर बीजीआर के पीआरओ संजय बेसरा, प्रोजेक्ट मैनेजर पीवी शिवाचंद्रा, डिस्पैच मैनेजर कुमार रेड्डी के द्वारा विशनपुर गांव के 120 ग्रामीणो के बीच कंबल का वितरण किया गया।