एम्स के डॉक्टर ने बताया, हलके लक्षण वाले मरीज घर बैठे ही कर सकते हैं अपना इलाज

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देश में कोरोना के मामले एक बार फिर बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। बीते 24 घंटे में 1.68 लाख संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं, ओमिक्रॉन और कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों को एक बार फिर डर सताने लगा है। नया वैरियंट बहुत तेजी से पैर भले ही पसार रहा हो लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह बहुत ही माइल्ड है, इससे डरने की जरूरत नहीं है।
 
क्या कहते हैं एम्स के डॉक्टर?
एम्स में चिकित्सा विभाग के प्रो. डॉ. नीरज निश्चल कहते हैं कि कोई भी जादुई दवा कोरोना की नहीं है। संक्रमण का कोई विशेष इलाज भी अभी तक सामने नहीं आया है। रोगियों की कड़ी निगरानी की जाए। साथ comorbidity वाले वह बुजुर्ग जिनको अभी वैक्सीन नहीं लगी है, उनका ध्यान रखने की जरूरत है।
 
डॉक्टर नीरज निश्चल ने कहा जिसे भी संक्रमण के हलके लक्षण हैं उनका इलाज घर पर ही किया जा सकता है। इसके लिए यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि डॉक्टर को दिखाएं और भर भर के दवाइयां खाएं। उन्होंने कहा, हमें इस मानसिकता से निकलने की जरूरत है कि दवाई खा कर ही संक्रमण को ठीक किया जा सकता है। अगर आप घर में रहकर मामूली इलाज भी करें तो भी यह ठीक हो सकता है। डॉक्टर नीरज निश्चल ने आगे कहा तीसरी लहर के दौरान ओमिक्रॉन और कोविड-19 के ज्यादातर मरीजों के लक्षण माइल्ड हैं। बेहतर होगा अगर लोग अपनी इम्युनिटी बढ़ाने पर ध्यान देंगे। लिहाजा स्वस्थ जीवन शैली, वैक्सीनेशन और कोविड के नियमों का पालन कर स्वयं का बचाव करें।
 डॉक्टर निश्चल मोलनुपिरविर दवा को लेकर बोले यह कोई जादू की पुड़िया नहीं है। उन्होंने कहा मोलनुपिरविर तेजी से मनुष्य की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है। यह पुरुषों के प्रजनन अंगों की कोशिकाओं, महिलाओं में भ्रूण, युवा और बच्चों में हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है।
 आपको बता दें कि मोलनुपिरविर को लेकर पिछले हफ्ते भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने भी चिंता जताई थी। उन्होंने कहा-मोलनुपिरविर को लेकर कुछ बड़ी चिंताएं हैं। ये दवा कोविड 19 के इलाज के तौर पर राष्ट्रिय प्रोटोकॉल में शामिल नहीं है।
 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी बताया गया है कि इस बार जितने कोविड के सक्रिय मरीज हैं इनमें से 5 से 10 फ़ीसदी लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी है। साथ में स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अभी हालात स्थिर है, आगे चलकर संक्रमण खतरनाक हो सकता है। आपको बता दें कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 20 से 30 फ़ीसदी लोगों को ही हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत महसूस हुई थी।

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