पूजा पाल: पति की मौत के बाद सियासत में रखा कदम, अतीक अहमद को भी दी चुनाव में पटकनी
उत्तर प्रदेश में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सियासी तापमान बहुत बढ़ गया है। सत्ताधारी बीजेपी से लेकर विपक्ष तक अभी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। लेकिन आज हम विधानसभा चुनावों पर चर्चा ना करके आपको एक ऐसे विधायक की कहानी सुनाएंगे जिसने अपने पति की मौत के बाद सियासत में कदम रखा। आज हम आपको विधायक पूजा पाल की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने 2007 में पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और अतीक अहमद के भाई मोहम्मद अशरफ को पटखनी देकर विधानसभा पहुंची।
पूजा पाल
बीएसपी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली विधायक पूजा पाल ने 2017 में बसपा को छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था। उनके बारे में कहा जाता है कि वो दूसरों के घरों और दफ्तरों में झाड़ू पोछे का काम करती थीं। लेकिन पूजा आज मंझी कोई राजनेता के रूप में जानी जाती है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर की थी। पूजा पाल ने 2007 में अतीक अहमद के भाई मोहम्मद अशरफ को हराया था।
पिता बनाते थे साइकिल का पंचर
पूजा पाल इलाहाबाद के दरियाबाद इलाके में रहने वाले एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता साइकिल का पंचर बनाते थे, और मां घरों में झाड़ू पोछा किया करती थी। मां बाप का सपना बिटिया को डॉक्टर बनाने का था लेकिन गरीबी की मार के चलते पूजा सातवीं से आगे स्कूल नहीं जा सकीं।
अस्पताल में हुई पूजा की उनके जीवन साथी से मुलाकात
पूजा पाल महज 11 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ कर दूसरों के घरों में काम करने लगी थीं। कुछ वर्षों बाद उन्हें शहर के रामबाग इलाके में एक प्राइवेट अस्पताल में काम मिल गया। यहीं नौकरी करने के दौरान उनकी मुलाकात राजू पाल से हुई। वो अस्पताल में इलाज कराने आए थे, यहीं दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे। राजू पाल को साल 2004 में बसपा ने इलाहाबाद पश्चिम की सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। टिकट पाने से पहले तक राजू पाल को शायद ही कोई जानता था, लेकिन उनकी तकदीर चमकी और उन्होंने अतीक अहमद के दबदबे को खत्म करते हुए पहली बार बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीता।
पूजा पाल की राजू पाल से हुई शादी
राजू पाल ने विधायक बनने के 7 महीने बाद 16 जनवरी 2005 को अपनी प्रेमिका पूजा से ब्याह रचा लिया। दोनों ने शादीशुदा जिंदगी को लेकर बहुत हसीन ख्वाब पाल रखे थे, लेकिन तकदीर को शायद कुछ और ही मंजूर था। शादी के 9 दिन ही बाद 25 जनवरी को शहर के घर आते वक्त विधायक राजू पाल की ताबड़तोड़ फायरिंग में मौत हो गई। इस कत्ल के बाद इलाहाबाद कई दिनों तक हिंसा की चादर में लिपटा रहा। विधायक के कत्ल का आरोप उनके खिलाफ चुनाव हारने वाले अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ अहमद पर लगा। अशरफ को इस मामले में जेल की हवा भी खानी पड़ी।
बीएसपी ने उपचुनाव में पूजा पाल को उतारा
राजू पाल के कत्ल से खाली हुई इलाहाबाद पश्चिम की सीट पर 2005 में उपचुनाव हुआ। चुनाव में जहां एसपी ने दोबारा अतीक अहमद के भाई अशरफ पर दांव खेला, वहीं दूसरी ओर मायावती ने राजू पाल की विधवा पूजा पाल को इस चुनावी समर में उतार दिया। पूजा पाल इस चुनाव में जीत गईं।
साल 2007 के यूपी विधानसभा चुनावों में मायावती ने एक बार फिर इलाहाबाद पश्चिम की सीट से पूजा को टिकट दिया। 2007 में यूपी में मायावती की लहर थी, इसका फायदा पूजा को भी मिला और वो इलाहाबाद पश्चिम की सीट से फिर विधायक बनीं। उन्होंने इस चुनाव में अतीक अहमद के भाई को एक बार फिर मात दी। वक्त बीता 2012 में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की लहर चल पड़ी थी। हालांकि बीएसपी ने एक बार फिर इलाहाबाद पश्चिम की इस सीट से पूजा पाल पर दांव खेला और पूजा पाल ने इस चुनाव में बाहुबली नेता अतीक अहमद को हरा दिया। इस हार का असर इतना गहरा हुआ कि 2017 के चुनाव में अतीक अहमद ने अपनी परंपरागत सीट छोड़ दी। समाजवादी पार्टी ने उन्हें इस चुनाव में कानपुर केंट से उम्मीदवार घोषित किया था।
बसपा का दामन छोड़ थामा सपा का हाथ
2017 में पूजा पाल ने बसपा का दामन छोड़कर सपा का हाथ थाम लिया। अखिलेश यादव ने उन्हें 2019 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा लेकिन वह इस चुनाव में हार गईं।