अकाल तख्त के जत्थेदार ने बयान जारी कर हेट टेररिज्म बंद करने की माँग की
नमस्कार न्यूजरूम में आप सभी का स्वागत है। सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक की निंदा करते हुए इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया है। एक वीडियो बयान में उन्होंने फिरोजपुर की घटना के लिए सिख समुदाय को दोषी नहीं ठहराने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि एक किस्म का हेट टेररिज्म फैलाया जा रहा है जिस पर रोक लगाये जाने की जरूरत है। जत्थेदार ने कहा कि सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है जिस पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा अहम होती है और केंद्र तथा राज्य सरकार को मिलकर इसे दुरुस्त करने की जरूरत है।
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हरीश रावत के बयान पर विवाद
इस बीच, प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के मुद्दे पर राजनीतिक घमासान भी जारी है। कांग्रेस के कई नेताओं ने ऐसे बयान दिये हैं जिन्हें अमर्यादित ही कहा जायेगा। अब उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत को ही लीजिये। उनका एक बयान बहुत वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि एसपीजी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को राज्य पुलिस के साथ मिलकर प्रधानमंत्री के काफिले के रास्ते को मिलकर साफ करना चाहिए था। आधा घंटा यदि विलंब हो जाता तो कौन-सा बम फूट पड़ता।” रावत के इस बयान पर विवाद हुआ तो अब वह सफाई देते फिर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा ऐसा विषय है जिस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
वहीं इस मुद्दे को लेकर उत्तराखण्ड में राजनीति गर्मा गयी है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरीश रावत की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा है कि उन्हें ऐसी टिप्पणी की उम्मीद नहीं थी। उत्तराखंड की भाजपा इकाई ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे में हुई सुरक्षा चूक पर कांग्रेस नेता हरीश रावत की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को भी उक्त घटना की जांच के दायरे में लाया जाना चाहिये। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम हरीश रावत के उस बयान की निंदा करते हैं जिसमें उन्होंने कहा कि आधे घंटे की देरी हो जाती तो कौन-सा बम फूट जाता।’’
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उन्होंने कहा कि रावत पंजाब कांग्रेस के प्रभारी रहे हैं और चरणजीत सिंह चन्नी की राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कौशिक ने कहा, ‘‘इस तरह की टिप्पणी करने से उनकी भूमिका संदिग्ध हो जाती है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक की उच्च स्तरीय जांच के दायरे में उन्हें भी लाया जाना चाहिये।’’ कौशिक ने कहा कि रावत की टिप्पणी खुली चेतावनी है कि आगामी दिनों में कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में भी इस तरह की घटनाएं हो सकती हैं। इस बीच, कौशिक के नेतृत्व में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल लेफ्टिनेंज जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा जिसमें प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक की घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पंजाब में हुई घटना ‘‘राजनीतिक शत्रुता के कारण रची गई साजिश का परिणाम है।’’
