India- China Commander Level Talks | भारत और चीन के बीच कार्प्स कमांडर स्तर की वार्ता का 14वां दौर 12 जनवरी को होगा!

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नयी दिल्ली। हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से अलगाव के मुद्दे को हल करने के लिए भारत और चीन 12 जनवरी को कोर कमांडर वार्ता के 14वें दौर का आयोजन करने वाले हैं। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि चीनी पक्ष को 14वें दौर की वार्ता के लिए निमंत्रण भेजा है । वार्ता अब 12 जनवरी को होने वाली है। उन्होंने कहा कि यह पहली बैठक होगी जहां लेफ्टिनेंट जनरल ए सेनगुप्ता दो दिन पहले नए 14वें कोर कमांडर के रूप में पदभार संभालने के बाद वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

  भारत और चीन 14वें दौर की वार्ता 12 जनवरी 

 भारत और चीन के बीच कार्प्स कमांडर स्तर की 14वें दौर की वार्ता 12 जनवरी को होने की संभावना है जिसमें पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के शेष क्षेत्रों से पीछे हटने की प्रक्रिया की दिशा में प्रगति के विषय पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि यह बातचीत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा क्षेत्र में चुशूल में आयोजित होने की संभावना है। समझा जाता है कि इस वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष द्वारा देपसांग, बुल्ज और देमचाक से जुड़े मुद्दों का समाधान निकालने सहित संघर्ष के शेष क्षेत्रों में जल्द से जल्द पीछे हटने पर जोर देने की संभावना है।

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वार्ता से पहले चीन की तरफ से जारी हुआ यह बयान

पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन द्वारा किए जा रहे पुल निर्माण के संबंध में चीन का कहना है कि वह अपनी क्षेत्रीय सम्प्रभुता की सुरक्षा के लिए बुनियादी ढ़ांचे का निर्माण कर रहा है। गौरतलब है कि भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पैंगोंग झील पर चीन जहां पुल बना रहा है वह क्षेत्र पिछले करीब 60 साल से चीन के अवैध नियंत्रण में है और उसने (भारत) कभी ऐसी गतिविधि को स्वीकार नहीं किया।

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 पैंगोंग झील पर चीन द्वारा किए जा रहा पुल निर्माण 

नयी दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, ‘‘पैंगोंग झील पर चीन द्वारा किए जा रहे पुल निर्माण से जुड़ी खबरों के संबंध में, सरकार गतिविधियों पर करीब से नजर रख रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पुल का निर्माण उस क्षेत्र में किया जा रहा है जो पिछले करीब 60 साल से चीन के अवैध नियंत्रण में है। जैसा कि आप सभी को पता है, भारत ने कभी भी इस अवैध नियंत्रण को स्वीकार नहीं किया है।’’ बागची ने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा हितों के पूर्ण संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।

बागची के बयान के बारे में पूछे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने शुक्रवार को पैंगोंग सो पुल का प्रत्यक्ष उल्लेख किये बगैर पत्रकारों से कहा कि ‘‘आपने जो बात कही, मुझे उसकी जानकारी नहीं है।’’ वांग ने कहा, ‘‘मैं यह बताना चाहता हूं कि चीन द्वारा अपनी सीमा में किया जा रहा बुनियादी ढ़ांचे का निर्माण पूरी तरह से उसकी सम्प्रभुता में आता है और उसका लक्ष्य चीन की क्षेत्रीय सम्प्रभुता की रक्षा करना और चीन-भारत सीमा पर शांति तथा स्थिरता बनाए रखना है।’’ खुर्नाक इलाके में पुल के निर्माण की उपग्रह से प्राप्त तस्वीरें सोमवार को सामने आयी हैं।

  लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध शुरू हुआ था तनाव

 गौरतलब है कि 13वें दौर की वार्ता पिछले वर्ष 10 अक्तूबर को हुई थी जो गतिरोध के साथ समाप्त हुई थी।
इस बैठक में दोनों पक्ष कोई प्रगति हासिल करने में विफल रहे थे। भारतीय सेना ने वार्ता के बाद कहा था कि उसकी ओर से दिये गए रचनात्मक सुझावों पर चीनी पक्ष सहमत नहीं था और वह (चीनी पक्ष) अपनी ओर से भी कोई आगे बढ़ने वाला प्रस्ताव नहीं दे सका।


भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध शुरू हुआ। पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक टकराव के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने काफी संख्या में सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी। पिछले वर्ष लगातार कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे तथा गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की।

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