भारत के खिलाफ “Digital War” की फिराक में चीन? सेना के कंप्यूटर हैक करने की कोशिश में लगा
आईबी की साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन, पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया के साइबर हैकर्स देश के न्यूक्लियर और डिफेंस प्रोडक्सशन से जुड़े कंप्यूटर्स को हैक करने की फिराक में हैं। चीनी हैकर्स ने इस साल 1 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर के बीच महत्वपूर्ण इंस्टॉलेशन से जुड़े हुए कंप्यूटर्स को हैक करने की साजिश की गई है। खुफिया विभाग के साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को भी ये रिपोर्ट भेजी गई है।
- 56 ऐप के जरिये साइबर अटैक की कोशिश
भारतीय सैन्य प्रौद्योगिकी और रक्षा अनुसंधान के अलावा, इन हैकरों का लक्ष्य आंतरिक सुरक्षा की महत्वपूर्ण कड़ियाँ यानि राज्य पुलिस के मुख्य कंप्यूटर हैं। आईबी ने बताया है कि पिछले एक महीने में 13 कंप्यूटरों में 56 वेब एप्लिकेशन सामने आए हैं, जिनका इस्तेमाल हैकिंग के लिए किया गया। लगातार भारत की जासूसी करने में लगे इस हैकिंग के पीछे आईबी ने चीन को बड़ा सोर्स बताया है।
- सबसे ज्यादा खतरा महाराष्ट्र में पाया गया
भारत में सुरक्षा की सबसे छोटी कड़ी मानी जाने वाली राज्य पुलिस की व्यवस्था को चीन निशाना बना रहा है। ऐसे में ये एक बड़ा सवाल है कि हैकिंग के पीछे चीन की मंशा क्या है? आईबी की साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक साइबर हैकर्स ने राज्य पुलिस, सहकारी बैंकों, अर्धसैनिक बलों, नागरिक उड्डयन और सरकारी विभागों को भी सबसे ज्यादा निशाना बनाया है। वहीं, साइबर अटैक का सबसे ज्यादा खतरा महाराष्ट्र में पाया गया है। राज्य में नौ वेब अनुप्रयोगों और दो महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के कंप्यूटरों को साइबर हमलावरों ने निशाना बनाया और हैकिंग के प्रयास भी किए गए।
- चीन क्यों परेशान है?
हैकर्स के निशाने पर आने वाले राज्यों की बात करें तो इनमें उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और कश्मीर जैसे राज्यों के नाम शामिल हैं। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि भारत उस एस-400 एंटी-मिसाइल सिस्टम को लगाने की तैयारी कर रहा है जिसे भारत ने लद्दाख में चीनी सीमा के पास रूस से खरीदा है। इससे चीन में दहशत का माहौल है। ऐसे में चीन भारत की हर गतिविधि पर नजर रखना चाहता है इसलिए अब सैन्य टकराव के अलावा वो खुफिया जानकारी चुराने में लगा है। कुल मिलाकर कहा जाए तो एक तरह का हैकिंग के जरिए डिजिटल वॉर, जिसके लिए राज्यों के स्तर पर निगरानी की भी तैयारी है।