धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को देश के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए : गहलोत

जयपुर| राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धर्म के नाम पर की जाने वाली राजनीति पर चिंता जताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि जो ऐसा करते हैं उन्हें देश के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लड़ाई विचारधारा की होनी चाहिए लेकिन व्यक्तिगत, धर्म या जाति के नाम पर की जाने वाली राजनीति खतरनाक होती है। यहां अमर जवान ज्योति पर स्वर्णिम विजय दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि पाकिस्तान का गठन धर्म के नाम पर हुआ लेकिन उसका दो देशों में बंटवारा हो गया और 1971 में नया देश बांग्लादेश बना।

गहलोत ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘धर्म के नाम पर देश बनाया तो जा सकता है पर देश कायम नहीं रह सकता, ये उदाहरण हमारे सामने पाकिस्तान का है। पहले पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान था, आज पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस देश में धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को यह समझना चाहिए कि धर्म के नाम पर राष्ट्र बन भी जाता है लेकिन कायम नहीं रहता है।’’
गहलोत ने कहा, ‘‘इसलिए मैं यह कहना चाहूंगा कि लोकतंत्र में लड़ाई विचारधारा की होनी चाहिए। धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर राजनीति खतरनाक होती है।’’
गहलोत ने इस पर भी नाराजगी जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्रियों के लिखे पत्र का जवाब नहीं देते।

टीकाकरण के तहत बूस्टर खुराक के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा ‘‘प्रधानमंत्री जी ने जवाब नहीं देने की कसम खा रखी है। प्रधानमंत्री जी को मुख्यमंत्री के पत्र का जवाब देना चाहिए, लेकिन वह जवाब देते नहीं हैं।’’
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार को कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर खुराक और बच्चों के टीके पर जल्द निर्णय करना चाहिए।

गहलोत ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल से बुधवार को बात की। गहलोत के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर करनी चाहिए और बूस्टर खुराक के बारे मे जल्द फैसला करना चाहिए।
गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैन्य अधिकारियों-जवानों के आश्रितों को भी नौकरियां देगी। उन्होंने शहीदों के आश्रितों की श्रेणी का विस्तार करने की भी घोषणा की।

मुख्यमंत्री की इस घोषणा से 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैन्य अधिकारियों-जवानों के आश्रितों को नौकरी दिए जाने का मार्ग प्रशस्त होगा। पूर्व के नियमों में 15 अगस्त 1947 से 31 दिसंबर 1970 तक के राजस्थान के शहीदों के आश्रित परिवार के एक सदस्य को नियुक्ति देने का प्रावधान है।

गहलोत ने स्वर्णिम विजय दिवस के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अमर जवान ज्योति जाकर पुष्पचक्र अर्पित किया और दो मिनट का मौन रखकर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए सैन्यकर्मियों को श्रद्धांजलि दी।

राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्यों, विधायकों, सेना के अधिकारियों-जवानों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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