राज्यपाल ने 12 विधायकों की अयोग्यता के संबंध में ईसी की राय पर आदेश पारित किया

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नयी दिल्ली|  उच्चतम न्यायालय को बृहस्पतिवार को सूचित किया गया कि मणिपुर के राज्यपाल ने ‘‘लाभ का पद रखने’’ के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के संबंध में निर्वाचन आयोग (ईसी) द्वारा दी गई राय पर निर्णय ले लिया है।
राज्यपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ को यह जानकारी दी गई।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने भी इस दलील पर गौर किया और कहा, ‘‘हमें सूचित किया गया है कि मणिपुर के राज्यपाल ने आदेश पारित किया है।’’
मणिपुर के राज्यपाल ला. गणेशन ने कांग्रेस के एक विधायक द्वारा दायर वह शिकायत बुधवार को खारिज कर दी थी, जिसमें लाभ का पद रखने को लेकर राज्य के 12 विधायकों की सदस्यता रद्द करने का अनुरोध किया गया था।

उच्चतम न्यायालय करोंग से विधायक डी. डी. थैसी और अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 12 विधायकों को इस आधार पर अयोग्य ठहराये जाने का अनुरोध किया गया था कि वे संसदीय सचिवों के पदों पर हैं, जो लाभ के पद के बराबर है।

रिपोर्टों में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने पाया कि विधायकों द्वारा कोई भी उल्लंघन नहीं किया गया क्योंकि उन्होंने राज्य में संसदीय सचिवों के पदों पर दो कानूनों द्वारा दी गई छूट के तहत कार्य किया था।
बाद में उच्च न्यायालय ने कानूनों को रद्द कर दिया था।

अदालत द्वारा कानूनों को अमान्य घोषित करने के बाद, कांग्रेस कीमणिपुर इकाई ने तत्कालीन राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से संपर्क किया था, जिसमें संसदीय सचिवों के पदों पर रहने के कारण 12 भाजपा विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी।
उसके बाद राज्यपाल ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले पर निर्वाचन आयोग की राय मांगी थी।

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