प्रदूषण से निपटने के लिए केजरीवाल ने विभिन्न कदमों की घोषणा की

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नयी दिल्ली|  उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में वायु प्रदूषण में वृद्धि को ‘आपात’ स्थिति करार दिया और राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन लागू करने का सुझाव दिया।

इसके बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए कई आपात उपायों की घोषणा की जिनमें एक सप्ताह के लिए स्कूलों को बंद करना, निर्माण गतिविधियों पर रोक और सरकारी कर्मचारियों के लिए घर से काम करना (वर्क फ्रॉम होम) शामिल हैं।

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केजरीवाल ने एक आपात बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि उनकी सरकार केंद्र, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य एजेंसियों से चर्चा के बाद लॉकडाउन का प्रस्ताव भी शीर्ष अदालत के समक्ष पेश करेगी।

राष्ट्रीय राजधानी में लगातार तीसरे दिन शनिवार को वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रही और इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक(एक्यूआई) 473 रहा। एक दिन पहले की तुलना में इसमें कुछ सुधार हुआ। पड़ोस के गाजियाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमशः 441, 441, 423, 464 और 408 रहा।
केजरीवाल ने कहा कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर को देखते हुए सोमवार से स्कूल एक सप्ताह के लिए बंद रहेंगे।

उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों के संबंध में ‘वर्क फ्रॉम होम’ लागू किया जाएगा और निजी कार्यालयों के लिए अलग से परामर्श जारी किया जायेगा। दिल्ली में 14 से 17 नवंबर तक निर्माण गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम सोमवार से एक सप्ताह के लिए स्कूलों को बंद कर रहे हैं ताकि हमारे बच्चों को अपने घरों से बाहर न निकलना पड़े और प्रदूषित हवा में सांस न लेनी पड़े।’’

इससे पहले, न्यायालय ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार से कहा कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों के भीतर मास्क पहन रहे हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।

प्रदूषण के स्तर में वृद्धि को ‘‘आपात स्थिति’’ बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के सभी सरकारी कार्यालय एक सप्ताह के लिए बंद रहेंगे, लेकिन सभी अधिकारी घर से काम करेंगे। सभी निजी कार्यालयों को घर से काम करने की सलाह दी जाएगी।’’

केजरीवाल ने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण बढ़ा है। हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है कि 30 सितंबर तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से नीचे के रहने साथ हवा भी साफ थी, लेकिन पड़ोसी राज्यों में पराली जलने के कारण प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।’’

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह दोषारोपण का समय नहीं है। दिल्ली सरकार दिल्लीवासियों और बच्चों को इस तरह की आपात स्थिति से राहत देना चाहती है और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वे ताजी हवा में सांस लें।’’

उच्चतम न्यायालय के सुझाव के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा कि आप सरकार फिलहाल लॉकडाउन नहीं लगा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार, सीपीसीबी, सफर को विश्वास में लेंगे। अगर स्थिति बिगड़ती है, तो सभी निजी वाहन, परिवहन, निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों को रोका जा सकता है। प्रस्ताव (लॉकडाउन के लिए) न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।’’

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इस बीच, पर्यावरणविदों ने केजरीवाल द्वारा घोषित आपातकालीन उपायों को मामूली समाधान करार दिया और समस्या के दीर्घकालिक समाधान का आह्वान किया।

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