Labh Panchami 2024: लाभ पंचमी व्रत से प्राप्त होता है सौभाग्य

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सनातन धर्म में लाभ पंचमी का विशेष महत्व है, आज लाभ पंचमी है, इसे सौभाग्य पंचमी, लाभ पंचमी, लाखेनी पंचमी के नाम से भी जाना जाता है तो आइए हम आपको लाभ पंचमी का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।  
जानें लाभ पंचमी के बारे में 
दीपावली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है और रोशनी के इस त्योहार का अंतिम दिन लाभ पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इसे लाभ पंचमी, सौभाग्य पंचमी और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, जोकि इस बार 6 नवंबर 2024, बुधवार को है. लाभ पंचमी का दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए शुभ होता है। ये तिथि जीवन में सुख और समृद्धि की वृद्धि करती है.लाभ पंचमी के दिन भगवान शिव, गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति आती है, बिजनस, जॉब और व्यापार में समृद्धि और प्रगति होती है. सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए सौभाग्य पंचमी का व्रत रखें. बिजनेस में विस्तार हो, नए काम का आरंभ करना हो या बाजार में खरीदारी इस दिन 24 घंटे अबूझ मुहूर्त होता है. मांगलिक कामों के लिए तो ये दिन बहुत ही खास है। एक सार्थक हिंदू त्यौहार है जिसे भक्ति, कृतज्ञता और देने की भावना के साथ मनाया जाता है। दीवाली के पांचवें दिन मनाया जाने वाला यह शुभ दिन समृद्धि, विकास, नई शुरुआत और दान के महत्व का प्रतीक है। लाभ पंचमी, जिसका अर्थ है “लाभ”, सकारात्मकता, विश्वास और सामुदायिक समर्थन को प्रेरित करता है, व्यक्तियों को दयालुता और उदारता के कार्यों के माध्यम से बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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लाभ पंचमी के दौरान होते हैं ये अनुष्ठान
पंडितों के अनुसार लाभ पंचमी को समृद्धि और नई शुरुआत का सम्मान करने के लिए विशेष अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है:
1. घटस्थापना पूजा: कई भक्त पारंपरिक घटस्थापना (पवित्र बर्तन की स्थापना) करते हैं और भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी का आह्वान करते हैं। यह अनुष्ठान धन, सफलता और सौभाग्य के स्वागत का प्रतीक है।
2. नए खाता बही खोलना: व्यापारियों के लिए, लाभ पंचमी पुराने खातों को बंद करने और आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए नए बहीखाते खोलने के लिए एक आदर्श दिन है। यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है और वित्तीय स्थिरता और विकास के लिए आशीर्वाद मांगता है।
3. लक्ष्मी पूजा और गणेश पूजा: भक्त देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को समर्पित पूजा करते हैं, ज्ञान, समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। अनुष्ठान के हिस्से के रूप में फूल, मिठाई और धूपबत्ती चढ़ाई जाती है।
4. सजावट और रोशनी: घरों और कार्यस्थलों को अच्छी तरह से साफ किया जाता है, सजाया जाता है और कभी-कभी रोशनी और रंगोली से रोशन किया जाता है। यह नकारात्मकता को दूर करने और सौभाग्य के स्वागत का प्रतीक है।
5. मिठाई बांटना: लाभ पंचमी पर परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ मिठाई बांटना एक आम बात है। यह सद्भावना और आशीर्वाद बांटने का एक संकेत है।
लाभ पंचमी का आध्यात्मिक महत्व भी जानें 
लाभ पंचमी दिवाली उत्सव का अंतिम दिन है और इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व है। गुजरात जैसे क्षेत्रों में, यह विशेष रूप से व्यापारिक समुदाय द्वारा मनाया जाता है, जो इसे कृतज्ञता पर चिंतन करने, ईश्वरीय मार्गदर्शन प्राप्त करने और भविष्य के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के समय के रूप में मानते हैं।

लाभ पंचमी पर दान का है खास महत्व
दान करना लाभ पंचमी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जरूरतमंदों की मदद करने से आशीर्वाद और समृद्धि मिलती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन के सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है। व्यापार में तरक्की के लिए भी इस पर्व को बहुत खास माना जाता है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से धन-धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। लाभ पंचमी पर जरूरतमंद लोगों को दान करने की भी परंपरा है।  
लाभ पंचमी के दिन ऐसे करें पूजा 
पंडितों के अनुसार पंचम पूजा के दिन भक्तों को प्रातः उठकर स्नान करना चाहिए, इसके बाद भगवान सूर्य को जल से अर्घ्य देना चाहिए, शुभ चौघड़िया मुहूर्त में भगवान गणेश और शिव की मूर्तियों को स्थापित करें। एक सुपारी लेकर उसको चारों ओर पवित्र धागा लपेटें. इसके बाद उसे चावल की गोल ढेरी रख दें। हो सके तो भगवान गणेश की प्रतिमा को भी उसपर ही रखें। भगवान गणेश को चंदन, सिंदूर, फूल और दूर्वा अर्पित करना चाहिए, वहीं भगवान शिव पर भस्म, बिल्व पत्र, धतूरे के फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करना चाहिए। भगवान गणेश को मोदक और भगवान शिव को दूध से बना प्रसाद चढ़ाना चाहिए, भगवान शिव और गणेश के लिए लाभ पंचम मंत्र का जाप करना चाहिए।
लाभ पंचमी का शुभ मुहूर्त 
लाभ पंचम तिथि : बुधवार, 6 नवंबर 2024
लाभ पंचम मुहूर्त 2024: प्रातः 06:12 बजे से प्रातः 10:08 बजे तक
पंचमी तिथि प्रारंभ: 06 नवंबर 2024 को रात्रि 12:16 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त: 07 नवंबर, 2024 को सुबह 12:41 बजे
लाभ पंचम की पूजा शुभ, लाभ और अमृत के चौघड़िया में करना उचित होगा।
लाभ पंचमी का महत्व भी जानें 
यह दिवाली के अंतिम दिन मनाया जाता है, इसके बाद से दिवाली समारोह के दौरान बंद की गई दुकानें और व्यवसाय फिर से खुल जाते हैं। किसी भी नए उद्यम और व्यवसाय को शुरू करने के लिए भी यह एक शुभ दिन माना जाता है। भक्त विशेष रूप से भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। भक्त लाभ पंचम के शुभ दिन अपना खाता खोलते हैं, जीवन में ज्ञान और समृद्धि के लिए लक्ष्मी गणेश यंत्र से भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। जैन धर्म के लोग अपनी धार्मिक पुस्तकों की पूजा करते हैं, साथ ही ज्ञान की प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रकार के प्रसाद, मिठाई और फल अर्पित कर भगवान की प्रार्थना करके लाभ पंचम का पर्व मनाते हैं। इस दिन कई भक्त मां सरस्वती की विशेष पूजा भी करते हैं, दिवाली के दिन से लाभ पंचम तक अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के यहां जाने की परंपरा है, यह उन सभी के बीच अच्छे संबंधों को फिर से बेहतर करने का अच्छा समय होता है। लाभ पंचम पर मिठाइयों और अन्य उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है, जो एक दूसरे के साथ संबंधों में मधुरता का प्रतीक माना जाता है।
– प्रज्ञा पाण्डेय

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