बीरभूम हिंसा पर एक्शन में CBI, केंद्रीय जांच ब्यूरो की फोरेंसिक टीम पहुंची रामपुरहाट गांव

0

कोलकाता/नयी दिल्ली/रामपुरहाट। कलकत्ताउच्च न्यायालय के आदेश के कुछ घंटे बाद ही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में आठ लोगों की हत्या के मामले में जांच की जिम्मेदारी शुक्रवार को संभाल ली।डीआईजी अखिलेश सिंह के नेतृत्व में सीबीआई टीम सीएफएसएल टीम के साथ रामपुरहाट गांव पहुंची है। इसके अलावा हिंसा मामले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो की फोरेंसिक टीम भी गांव में मौजुद है।

West Bengal | Central Bureau of Investigation’s forensic team reaches Rampurhat village to probe #Birbhum violence case pic.twitter.com/5aUpTuJUgW

— ANI (@ANI) March 26, 2022

इससे पहले बीरभूम की हिंसा को समाज की चेतना को झकझोर देने वाला बताते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को राज्य पुलिस से मामले की जांच अपने हाथ में लेने और सुनवाई की अगली तारीख सात अप्रैल को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
अदालत ने बुधवार को मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने कहा कि तथ्य और परिस्थितियों की मांग है कि न्याय के हित और समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जांच सीबीआई को सौंपी जाए।
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) के आठ विशेषज्ञों के साथ एक टीम पहले ही भेज दी है जो वारदात स्थल का दौरा कर चुकी है।
गौरतलब है कि बीरभूम जिले के रामपुरहाट कस्बे के पास बोगतुई गांव में मंगलवार तड़के अज्ञात बदमाशों ने कुछ मकानों में कथित तौर पर आग लगा दी, जिसमें दो बच्चों सहित आठ लोगों की झुलसकर मौत हो गई थी। माना जा रहा है कि यह घटना सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के पंचायत अधिकारी की हत्या के प्रतिशोध स्वरूप हुई थी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का विपक्षी दलों ने स्वागत किया और आरोप लगाया कि राज्य पुलिस, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर काम कर रही है तथा इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है।
वहीं, राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने सवाल किया कि क्या केंद्र सरकार के मातहत काम कर रही एजेंसी पर निष्पक्ष जांच को लेकर भरोसा किया जा सकता है। उसने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी विपक्षी दलों को घेरने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल करती रही है।
ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी ने कहा कि सीबीआई को जांच में पूरा सहयोग दिया जाएगा लेकिन अगर भगवा पार्टी ने टीएमसी नेताओं को प्रताड़ित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया तोव्यापक पैमाने पर आंदोलन होगा।
भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख सुकांता मजूमदार ने कहा, ‘‘हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। केवल सीबीआई जांच के जरिए ही सच सामने आ सकता है, क्योंकि पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंट के तौर पर काम कर रही है और मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रही है।’’

इसे भी पढ़ें: मनीष सिसोदिया ने पेश किया दिल्ली का रोजगार बजट, 5 साल में 20 लाख नौकरी देने का ऐलान

माकपा के नेता सुजन चक्रवर्ती ने भी कहा कि उनकी पार्टी को उम्मीद है कि सीबीआई निष्पक्ष जांच करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ हम चाहते हैं कि बीरभूम जिले के एक गांव में हुई कथित हिंसा के मामले की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच हो। राज्य सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है।’’
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि राज्य सरकार ने सच्चाई सामने लाने की अभी तक पूरी कोशिश की है।
उन्होंने दावा किया कि सीबीआई का पिछला इतिहास मामलों को सुलझाने में उसकी नाकामी की गवाही देता है और वह विपक्षी दलों को घेरने के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है।
टीएमसी नेता ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि सत्तारूढ़ पार्टी ने विपक्षी दलों को घेरने के लिए कैसे सीबीआई का इस्तेमाल किया है। इसलिए हमें नहीं लगता कि सीबीआई एक निष्पक्ष एजेंसी है। अगर भाजपा हमारे नेताओं के उत्पीड़न के लिए सीबीआई जांच का इस्तेमाल करने की कोशिश करती है तो व्यापक पैमाने पर आंदोलन होंगे।’’
उच्च न्यायालय की पीठ ने सीबीआई को जांच सौंपने का आदेश देते हुए कहा कि उसने पाया है कि 22 मार्च को एसआईटी का गठन किया गया था, लेकिन अब तक जांच में एसआईटी का कोई प्रभावी योगदान नहीं नजर आया है।
बहरहाल, अदालत ने एसआईटी जांच में कमियों का ब्योरा नहीं दिया।

इस बीच, इन हत्याओं के संबंध में बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किए गए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता एवं रामपुरहाट ब्लॉक-एक के पूर्व अध्यक्ष अनारुल हुसैन ने दावा किया कि उन्होंने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था।
हुसैन ने यहां एक अदालत में ले जाते वक्त कहा, ‘‘दीदी (टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी) द्वारा मुझे ऐसा करने का निर्देश दिए जाने के बाद मैंने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।’’
अदालत ने हुसैन को 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
पुलिस ने शुक्रवार को कहा था कि हुसैन को तारापीठ के पास एक होटल के बाहर से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस अधिकारी पहले हुसैन को पकड़ने के लिए उनके आवास पर गए थे, लेकिन वह उस समय घर में मौजूद नहीं थे। बनर्जी ने पुलिस को निर्देश दिया था कि अगर टीएमसी नेता उसके समक्ष आत्मसमर्पण नहीं करते हैं तो वह उन्हें गिरफ्तार करे।
पश्चिम बंगाल में अवैध हथियारों और बम का पता लगाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश के एक दिन बाद पुलिस की कार्रवाई के दौरान शुक्रवार को कई जिलों में अवैध हथियारों का जखीरा भी बरामद किया गया।

इसे भी पढ़ें: PM मोदी ने दिया योग मंत्र, कहा- अच्छी सेहत और जन कल्याण की दिशा में दुनिया को कर रहा एकजुट

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने बीरभूम, पश्चिमी मिदनापुर सहित राज्य के विभिन्न जिलों में अवैध हथियारों का जखीरा बरामद किया है। इन हथियारों को जब्त कर लिया गया है जबकि पेट्रोल बम को सीआईडी और पुलिस के बम निरोधक दस्ते द्वारा निष्क्रिय कर दिया गया है। कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।’’
अधिकारी ने हालांकि, कहा कि अबतक उन्होंने पूरे राज्य में गिरफ्तार किए गए लोगों के आंकड़ों को संकलित नहीं किया है।
इस बीच, राज्य के बुद्धिजीवी वर्ग के सदस्य बीरभूम हिंसा के विरोध में कोलकाता की सड़कों पर उतरे। फिल्म निर्देशक, विद्वान, चित्रकार, छात्र बोगतुई गांव में आठ लोगों को जिंदा जलाने के विरोध में शहर की व्यस्त सड़कों पर निकाली गयी रैली में शामिल हुए।
पबित्र सरकार ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि इस जघन्य अपराध के दोषियों को पकड़ा जाए और सजा दी जाए। फिल्म निर्देशक कमलेश्वर मुखापोध्याय ने कहा कि लोगों को राजनीति और निजी हितों से ऊपर उठना चाहिए और हत्याओं के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होना चाहिए।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *