पीएम सुरक्षा चूक मामला: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाते हुए भंग की जांच समिति, कहा- स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन करेंगे

सुप्रीम कोर्ट की ओर से 5 जनवरी को पंजाब के दौरे पर गए प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में कोर्ट ने जांच के लिए केंद्र की ओर से बनाई गई जांच कमेटी को भंग कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला पंजाब सरकार की तरफ से जांच में संदेह जताने के बाद लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कड़ा सवाल
 मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को केंद्र के रवैए पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा जब सुनवाई में उसने केंद्र और पंजाब सरकार दोनों की तरफ से जांच समिति गठित करने के काम को रोक दिया था तो फिर केंद्र सरकार ने पंजाब के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी को कारण बताओ नोटिस क्यों भेजा।
 इस बात का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कहा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया था। इस सुनवाई में पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया पेश हुए। उन्होंने संदेह जताते हुए कहा कि केंद्र की जांच समिति स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच नहीं करेगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले में स्वतंत्र जांच समिति बनाने के लिए कहा जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया।
कोर्ट में क्या हुआ
 पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए जनरल डीएस पटवालिया ने तर्क दिया कि यहां कारण बताओ नोटिस कहां से आ गया जब कोर्ट की ओर से कार्यवाही ही रोक दी गई थी? उन्होंने कहा मुझे केंद्र सरकार की समिति से न्याय नहीं मिलेगा पटवालिया ने अदालत से स्वतंत्र जांच का निर्देश देने का आग्रह किया।
 सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा जांच कराने को लेकर सवाल उठाया। जस्टिस हेमा कोहली ने केंद्र से पूछा कारण बताओ नोटिस जारी करके आप दिखा रहे हैं कि आप ने तय कर लिया है कि आप कैसे आगे बढ़ेंगे। तो फिर अदालत को इस मामले में क्यों जाना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने केंद्र के नोटिस को पूरी तरह विरोधाभासी बता दिया, उन्होंने कहा कमेटी का गठन करके आप यह पूछताछ करना चाहते हैं कि एसपीजी अधिनियम का उल्लंघन हुआ है इसके बाद आप राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को दोषी मानते हैं?
 जस्टिस सूर्यकांत ने कहा राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक दोनों इस मामले में पक्षकार है, कोर्ट ने आगे सवाल करते हुए कहा राज्य और याचिकाकर्ता निष्पक्ष सुनवाई चाहते हैं और आप निष्पक्ष सुनवाई के खिलाफ नहीं हो सकते हैं। फिर आपके द्वारा यह प्रशासनिक और तथ्य खोज जांच क्यों हो रही है? जस्टिस हिमा कोहली ने कहा आपने हमारे आदेश से पहले नोटिस जारी किया, उसके बाद हमने अपना आदेश पारित किया। अब आप उनसे 24 घंटे में जवाब चाहते हैं यह आप से अपेक्षित नहीं है।
 सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बोले अगर केंद्र अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करना चाहता है तो न्यायालय को क्या करना बाकी है? इस पर सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता बोले यदि कोर्ट को लगता है कि कारण बताओ नोटिस अंतिम परिणाम को पूर्व निर्धारित करता है, तो केंद्र की ओर से बनाई गई समिति इस पूरे मामले की जांच करेगी और मामले की रिपोर्ट अदालत को सौंपेगी। तब तक हम नोटिस वाले इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं करेंगे।
 इस पर राज्य सरकार के वकील पटवालिया ने कहा  गृह मंत्रालय इस समिति का नेतृत्व करता है और इसमें कैबिनेट सचिव, एसपीजी के महा निरीक्षक, और आईबी के डायरेक्टर शामिल होते हैं। हमें इस जांच समिति पर संदेह है मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।  सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को मानते हुए कहा हम स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन करेंगे और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस इस समिति की अगुवाई करेंगे। समिति में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के डीजी और इंटेलिजेंस ब्यूरो की पंजाब यूनिट के एडिशनल डीजी भी शामिल होंगे।

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