बूस्टर डोज लाने की तैयारी में सीरम इंस्टीट्यूट, Omicron पर भी होगा असरदार, DCGI से मांगी मंज़ूरी

विश्व से अभी कोरोना वायरस महामारी का खौफ गया नहीं है। कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन एक बार फिर से विश्व के समक्ष चिंता की लकीरें खींच दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान में मौजूद वैक्सीन कोरोना के इस नए वेरिएंट के सामने उतनी कारगर नहीं है। हालांकि स्थिति यह भी आती दिखाई दे रही है कि इस महामारी से निपटने के लिए बूस्टर डोज यानी कि तीसरे खुराक की आवश्यकता पड़ सकती है। यही कारण है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बूस्टर डोज बनाने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी मांगी है। सूत्रों ने बताया कि कंपनी ने अनुमति मांगते हुए यह भी कहा है कि देश में कोविशील्ड की पर्याप्त डोज मौजूद है औरनए वेरिएंट के खतरे के बीच बूस्टर डोज की आवश्यकता आ रही है।  
 

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आपको बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड वैक्सीन का कोरोना महामारी से निपटने में खूब इस्तेमाल हो रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से कहा गया है कि ओमीक्रॉन के लिए बूस्टर वैक्सीन लाने की तैयारी हो रही है। लेकिन इसके शोध में वक्त लग सकता है। जब तक इस शोध के नतीजे आएंगे तब तक इस वेरिएंट के लिए वैक्सीन की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में जरूरत के हिसाब से वैक्सीन पूरी तरीके से समय पर तैयार की जा सकेगी। हालांकि ओमीक्रॉन वैरीअंट को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से शोध की जा रही है और इससे संबंधित बूस्टर डोज तैयार की जा रही है। 
 

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जापानः ओमीक्रोन के खतरे के मद्देनजर कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर खुराक देना शुरू किया गया
 
जापान ने कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रोन को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच बुधवार को कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर डोज स्वास्थ्य कर्मियों को देना शुरू कर दिया। ओमीक्रोन के दो मामले जापान में सामने आ चुके हैं। जापान में प्रारंभिक टीकाकरण अभियान फरवरी के मध्य में शुरू हुआ था। ऐसे चिकित्साकर्मियों जिन्हें नौ महीने से अधिक समय पहले टीके की खुराक दी गई थी, वे अब संक्रमण की संभावित अगली लहर से पहले अतिरिक्त सुरक्षा प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं। विशेष तौर पर नये स्वरूप ओमीक्रोन के सामने आने के बाद इसकी आशंका बढ़ गई है। ओमीक्रोन का सबसे पहले पता पिछले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका में चला था। इसका मामला मंगलवार को जापान में सामने आया। तोक्यो मेडिकल सेंटर में, नर्सों और डॉक्टरों के एक समूह को बूस्टर डोज दिये गए। 
 

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