शुल्क कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल पर कुल कर घटकर 50 और डीजल पर 40 % हुआ

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मध्य प्रदेश सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर वैट व उपकर में कटौती की घोषणा की

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल पर कुल कर घटकर 50 प्रतिशत और डीजल पर 40 प्रतिशत रह गया है। वहीं उन राज्यों में वाहन ईंधन पर कर और कम हो गया है, जिन्होंने उत्पाद शुल्क कटौती के बाद मूल्यवर्धित कर (वैट) या बिक्री कर घटाया है।

 

 

 

पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें तेल की मूल कीमतों में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, डीलरों को दिया जाने वाला कमीशन और वैट को जोड़ने के बाद तय की जाती हैं। तेल की मूल कीमत में मौजूदा अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क दर और माल ढुलाई भाड़ा आता है।

 

 

 

 

 

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियोंसे उपलब्ध ईंधन की मूल्य संरचना के अनुसार, शुल्क में कटौती से पहले एक नवंबर को दिल्ली में केंद्रीय उत्पाद शुल्क 32.90 रुपये प्रति लीटर और वैट 30 प्रतिशत था, जो पेट्रोल के खुदरा बिक्री मूल्य का 54 प्रतिशत बैठता है।

 

 

 

 

यह उत्पाद शुल्क में पांच रुपये प्रति लीटर की कमी के बाद दिल्ली में घटकर 50 प्रतिशत रह गया है। केंद्र सरकार की उत्पाद शुल्क कटौती के साथ ही दो दर्जन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने वैट में कमी की है, जिससे इन राज्यों में प्रतिशत के लिहाज से खुदरा कीमतों में और कमी आई है। दिल्ली सरकार ने अभी तक वैट कम नहीं किया है। इसी तरह दिल्ली में डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 31.80 रुपये प्रति लीटर, वैट 16.75 प्रतिशत और प्रति किलोलीटर 250 रुपये का हवाई परिवेश शुल्क लगता है, जिससे कुल मिलाकर कर 48 प्रतिशत तक पहुंच गया था। यह उत्पाद शुल्क में 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती के बाद दिल्ली में घटकर 40 प्रतिशत पर आ गया है। अगर वैट में कटौती की जाती है, तो कीमतें और नीचे आएंगी।

 

 

 

 

पेट्रोल की मूल कीमत चेन्नई में 52.01 रुपये प्रति लीटर और लद्दाख में 59.89 रुपये प्रति लीटर के बीच है। इसके ऊपर केंद्र सरकार 27.90 रुपये का उत्पाद शुल्क लेती है जिसका भुगतान कारखाना गेट (इस मामले में रिफाइनरी) पर किया जाता है। इसके बाद राज्य सरकारें स्थानीय बिक्री कर या वैट की अलग-अलग दरें लगाती हैं। राजस्थान में पेट्रोल पर सबसे अधिक 30.51 रुपये प्रति लीटर का वैट लागू है। इसके बाद महाराष्ट्र में 29.99 रुपये, आंध्र प्रदेश (29.02 रुपये) और मध्य प्रदेश (26.87 रुपये) का नंबर आता है।

 

 

 

 

अंडमान और निकोबार में सबसे कम4.93 रुपये प्रति लीटर का वैट लगता है। इसी तरह डीजल की मूल कीमत चेन्नई में 52.13 रुपये प्रति लीटर से लेकर लद्दाख में 59.57 रुपये प्रति लीटर तक है। इसके ऊपर केंद्र सरकार 21.80 रुपये का उत्पाद शुल्क लेती है। सबसे अधिक वैट 21.19 रुपये प्रति लीटर आंध्र प्रदेश में लागू है। उसके बाद राजस्थान में 21.14 रुपये और महाराष्ट्र में 20.21 रुपये प्रति लीटर का वैट लगाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश सबसे कम 4.40 रुपये प्रति लीटर और अंडमान और निकोबार 4.58 रुपये वैट लेता है।

 

 

 

 

 

पेट्रोल पंप डीलरों को पेट्रोल पर 3.85 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 2.58 रुपये प्रति लीटर का कमीशन दिया जाता है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी, ताकि ईंधन की रिकॉर्ड-उच्च कीमतों से परेशान उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।

 

 

 

 

केंद्र सरकार की घोषणा के बाद 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अलग-अलग अनुपात में वैट दरों में कटौती करते हुए लोगों को और राहत दी है। वैट दर कम कर लोगों को अतिरिक्त राहत देने वाले राज्यों में कर्नाटक, पुडुचेरी, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम, बिहार और मध्य प्रदेश शामिल हैं। इनमें गोवा, गुजरात, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मेघालय और लद्दाख भी शामिल हैं।

 

 

 

 

 

जिन राज्यों ने अब तक वैट कम नहीं किया है उनमें कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों द्वारा शासित राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु शामिल हैं। इनमें आप शासित दिल्ली, तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल, वाम दल शासित केरल, टीआरएस शासित तेलंगाना और वाईएसआर कांग्रेस शासित आंध्र प्रदेश भी शामिल हैं।

 

 

 

 

 

बुधवार की उत्पाद शुल्क कटौती से देशभर में पेट्रोल की कीमत में 5.7 रुपये से 6.35 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतों में 11.16 रुपये से 12.88 रुपये की कमी आई है।

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आकाश भगत

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