सीबीआई निदेशक की नियुक्ति पर सभी को प्रभावित करने वाला आदेश जारी नहीं किया जा सकता :न्यायालय

नयी दिल्ली| उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की इस दलील पर जवाब देने को कहा कि सीबीआई निदेशक पद के लिए अस्थायी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए और मौजूदा निदेशक को उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद एक उत्तराधिकारी की नियुक्ति होने तक बने रहने देने की अनुमति दी जाए।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई ने अटार्नी जनरल के़के. वेणुगोपाल को एनजीओ कॉमन काउज की दलील पर अदालत को जवाब देने कहा।
शीर्ष न्यायालय एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मौजूदा प्रमुख की नियुक्ति से पहले नियमित सीबीआई निदेशक की नियुक्ति से जुड़ी याचिका दायर की थी।

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सुनवाई की शुरूआत में पीठ ने कहा कि यह विषय अब अनावश्यक हो गया है क्योंकि नियुक्ति हो चुकी है।
वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि सीबीआई निदेशक पद पर नियुक्ति 25 मई 2021 को एक समिति द्वारा की गई थी, जिसमें प्रधान न्यायाधीश भी शामिल थे।

एनजीओ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि यह एक नियमित चीज है जो शीर्ष न्यायालय के आदेशों के बावजूद बार-बार हो रही है।
भूषण ने कहा कि याचिका में उनका पहला अनुरोध सीबीआई निदेशक की नियुक्ति का है, जो हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि दूसरा अनुरोध केंद्र को पद के लिए रिक्ति आने की तारीख से कम से कम दो महीने पहले समय रहते सीबीआई निदेशक का चयन करने की पहल करने और प्रक्रिया पूरी करने के लिए निर्देश देना है।

उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह मामले (राज्यों के पुलिस महानिदेशक से जुड़े) में शीर्ष न्यायालय के स्प्ष्ट आदेश के बावजूद , ‘‘हमें इस मुद्दे पर बार-बार आगे आना होगा।’’

भूषण ने कहा, ‘‘केंद्र को पता था कि सीबीआई निदेशक फरवरी में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उस वक्त कोविड नहीं था और वे नये निदेशक के चयन की प्रक्रिया आसानी से शुरू कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह बार-बार हो रहा है और वे इस अदालत के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं।’’

हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने ऐसा फिर से होने पर भूषण से एक अन्य रिट याचिका दायर करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी को प्रभावित करने वालाआदेश जारी नहीं कर सकते। अवमानना याचिका दायर करें।

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