लखीमपुर हिंसा मामला: पवार का सरकार पर निशाना, सिद्धू का अल्टीमेटम, राहुल से मिले संजय राउत

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लखीमपुर हिंसा की घटना के बाद भले ही स्थानीय स्तर पर हाल शांत हो गई हो लेकिन राजनीतिक तौर पर इसकी गूंज अब भी सुनाई दे रही है। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्ष एकजुट होने का प्रयास कर रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के गिरफ्तारी के बाद से कांग्रेस को सरकार पर हमलावर होने का एक बड़ा मौका मिल गया है तो वहीं शिवसेना विपक्षी एकता को धार देने की कोशिश में जुट गई है। वही शरद पवार ने भी भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है। तो पंजाब से नवजोत सिंह सिद्धू की योगी सरकार को चेतावनी दे रहे हैं। 
 

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राहुल से मिले संजय राउत
आज शिवसेना नेता संजय राउत ने राहुल गांधी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद संजय राउत ने कहा कि प्रियंका गांधी गिरफ्तार हैं, इसलिए राहुल गांधी से मिलना जरूरी है। अगर कानून सबके लिए सामान है तो प्रियंका गांधी जेल में क्यों हैं और मंत्री खुले घूम रहे हैं? राउत ने कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा ने राष्ट्र की आत्मा हिल गयी है, प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया, विपक्षी नेताओं को किसानों से नहीं मिलने दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में सरकार के दमन के विरूद्ध संयुक्त विपक्षी कार्रवाई की जरूरत है।
 

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सिद्धू की चेतावनी
कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी पार्टी की नेता प्रियंका गांधी वाद्रा को बुधवार तक नहीं रिहा किया गया और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे को किसानों की हत्या के लिए गिरफ्तार नहीं किया गया तो कांग्रेस की पंजाब इकाई उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के लिए कूच करेगी। सिद्धू ने मंगलवार को ट्वीट किया कि यदि कल तक, किसानों की निर्मम हत्या के लिए जिम्मेदार केंद्रीय मंत्री के बेटे को गिरफ्तार नहीं किया जाता है और किसानों के लिए लड़ रहीं तथा गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार की गईं हमारी नेता प्रियंका गांधी को रिहा नहीं किया जाता है तो पंजाब कांग्रेस लखीमपुर खीरी के लिए कूच करेगी। ’’ सोमवार को सिद्धू ने इस हिंसक घटना के विरोध में यहां पंजाब के राजभवन के बाहर कई पार्टी विधायकों के साथ प्रदर्शन किया था।
 
संविधान खतरे में है: राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लखीमपुर खीरी की हिंसा और प्रियंका गांधी वाद्रा को हिरासत में लिए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों को गाड़ी से कुचलने वाले केंद्रीय मंत्री के पुत्र को हिरासत में नहीं लिए जाने का मतलब यह है कि देश का संविधान खतरे में है। उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि प्रियंका गांधी एक सच्ची कांग्रेसी हैं और डरने वाली नहीं हैं तथा उनका सत्याग्रह जारी रहेगा। राहुल गांधी ने लखीमपुर में किसानों को गाड़ी से कुचलने से संबंधित एक कथित वीडियो को साझा करते हुए फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘एक मंत्री का बेटा अगर अपनी गाड़ी के नीचे सत्याग्रही किसानों को कुचल दे, तो देश का संविधान ख़तरे में है। अगर वीडियो के सामने आने के बाद भी उसे हिरासत में ना लिया जाए तो देश का संविधान ख़तरे में है। अगर एक महिला नेता को 30 घंटे तक बिना प्राथमिकी के हिरासत में रखा जाए तो देश का संविधान ख़तरे में है।’’ उन्होंने यह दावा किया, ‘‘अगर क़त्ल हुए पीड़ितों के परिवार से किसी को ना मिलने दिया जाए तो देश का संविधान ख़तरे में है। अगर ये वीडियो किसी को दुखी नहीं करता तो मानवता भी ख़तरे में है।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘जिसे हिरासत में रखा है, वो डरती नहीं है- सच्ची कांग्रेसी है, हार नहीं मानेगी! सत्याग्रह रुकेगा नहीं।’’
 

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भाजपा को लखीमपुर घटना की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी: शरद पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने लखीमपुर घटना की जालियावाला कांड से तुलना करते हुए कहा कि लोग भाजपा को उसकी (सही) जगह दिखा देंगे तथा पार्टी को लखीमपुर घटना की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। हिंसा को ‘किसानों पर हमला’ करार देते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री पवार ने कहा कि केंद्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों पर इसकी जिम्मेदारीबनती है और ‘‘लोग उसे (भाजपा को) उसकी (सही) जगह दिखा देंगे। रविवार को हुई घटना पर उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि चाहे, यह केंद्र की सरकार हो या उत्तर प्रदेश की सरकार, वह तनिक भी संवेदनशील नहीं है। जिस प्रकार की स्थिति जालियावाला बाग में पैदा की गयी थी, उसी प्रकार की स्थिति हम उत्तर प्रदेश में देख रहे हैं। आज नहीं तो कल उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी ही पड़ेगी। घटना में हुई मौतों पर दुख प्रकट करते हुए पवार ने किसानों को आश्वासन दिया कि विपक्ष उनके साथ खड़ा है और वह शीघ्र ही भावी कदम पर निर्णय लेगा। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से जांच की भी मांग की। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि वे किसानों की आवाज को कुचलने में कामयाब नहीं हो पाएंगे। पूरे देश के किसान एकजुट हैं और वे सरकार में बैठे लोगों द्वारा सत्ता के इस दुरूपयोग के विरूद्ध संघर्ष करेंगे। 
 

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