वाममोर्चे के 34 साल वाले शासन के बाद से ही बंगाल की राजनीति में दुर्गा पूजा त्योहार पर सियासत का चढ़ा रंग आज तक कायम है
बंगाल में कहावत है बारो मास तेरो पूजा मतलब साल में महीने केवल बारह मगर बंगाल में पूजा तेरह। वहीं बात अगर बंगाल के सबसे अहम त्योहार की हो तो मामला अपने आप में और भी बड़ा हो जाता है। दुर्गा पूजा को लेकर तैयारियां अब अपने अंतिम चरण में है। महालया के साथ ही दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाएगी। पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा पर सियासी रंग हालिया वर्षों में कुछ ज्यादा ही चटख नजर आने लगा। राज्य में तेजी से अपना आधार बनाती बीजेपी इस मामले में राज्य की सत्ता में हैट्रिक लगाने वाली टीएमसी के एकाधिकार को कड़ी चुनौती दे रही है।
पश्चिम बंगाल में वाम दलों के 34 साल के शासनकाल के दौरान दुर्गा पूजा राजनीति के लिहाज से कोसो दूर थी। पूजा में वामपंथी नेताओं की सक्रियता भी न के बराबर ही होती थी। लेकिन 2011 के साल में जहां पश्चिम बंगाल की राजनीति ने एक नई करवट ली वहीं त्योहार पर भी सियासत का रंग चढ़ने लगा। ममता बनर्जी के सत्ता पर काबिज होने के बाद कोलकाता समेत धीरे-धीरे राज्य के अन्य प्रमुख आयोदन समितियों पर तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेताओं की मौजूदगी देखी जाने लगी। वहीं बाद में बीजेपी के राज्य में उभार के बाद उसने भी इसमें पूरे दम खम से एंट्री ली और जिसकी बानगी हालिया सालों में हमें देखने को भी मिली। अब तो आलम ये है कि करोड़ों के बजट वाली ऐसी कोई पूजा समिति नहीं है जिसमें अध्यक्ष या संरक्षक के तौर पर नेता या कोई मंत्री न हो।
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हर साल सैकड़ों पूजा पंडालों का उद्घाटन करती हैं CM ममता
तृणमूल कांग्रेस के लिए इस त्योहार की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हर साल सैकड़ों पूजा पंडालों का उद्घाटन करती हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी महालया से ही दुर्गा पूजा पंडालों में मां दुर्गा के ‘चक्षु दान’ के साथ दुर्गा पूजा पंडालों का उद्घाटन शुरू करेंगी। महालया के दिन शाम तीन बजे ममता बनर्जी नजरूल मंच में टीएमसी के मुखपत्र जागो बांग्ला के उत्सव अंक का लोकार्पण करेंगी। उसके बाद शाम पांच बजे चेतना अग्रनी सार्वजनिन पूजा कमेटी में और जोधपुर पार्क 95 में चक्षु दान करेंगे।
इस साल भी ईजेडसीसी में पूजा का आयोजन करेगी बीजेपी
दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी खुद को इससे दूर कैसे रख सकती थी? बंगाल में लोकसभा चुनावों में सियासी कामयाबी के बाद पार्टी अब अपनी सांस्कृतिक जमीन मजबूत करने की चाह लिए अमित शाह ने भी कोलकाता में एक पूजा पंडाल का उद्धाटन किया था। जिसके लिए बीजेपी की तरफ से महीनों पहले से ही कई प्रमुख आयोजन समितियों के साथ संपर्क साधना शुरू कर दिया गया था। बंगाल बीजेपी ने पिछले साल की तर्ज पर इस साल भी ईजेडसीसी में पूजा आयोजन करने का निर्णय किया है। हालांकि पूर्व वर्ष की तुलना में इस साल पूजा छोटे स्तर पर होगी। पिछले साल विधानसभा चुनाव के पहले बंगाल बीजेपी ने भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन किया था. पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद वर्चुअल माध्यम से पूजा के दौरान संबोधन किया था।
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स्टॉल लगाकर सीपीएम करती थी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार
वैसे तो वामपंथी नेताओं की पूजा में सक्रिय हिस्सेदारी शून्य के बराबर ही होती रही। लेकिन उसके कुछ नेता जरूर आयोजन समिति में शामिल होते थे वो भी अपने सियासी फायदे के लिए। दुर्गा पूजा में सीपीएम भले प्रत्यक्ष रूप से कभी शामिल नहीं रही, लेकिन इस त्योहार के दौरान वह भी हज़ारों की तादाद में स्टॉल लगाकर पार्टी की नीतियों और उसकी अगुवाई वाली सरकार की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार करती थी।
मोहर्रम की वजह से दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन पर ममता की रोक, कोर्ट का हस्तक्षेप
पश्चिम बंगाल ने ऐसा भी आलम देखा जब राज्य सरकार की तरफ से मुहर्रम की वजह से दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन पर पाबंदी लगा दी गई थी। जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था। आखिरकार कलकत्ता हाईकोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था और ममता सरकार के फैसले को पलटना पड़ा था। जिसको लेकर बीजेपी की तरफ से ममता सरकार की ओर से लागू की गई पाबंदी को कई मौकों पर मुद्दा बनाया जाता है।