चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान के उपकरणों ने खोज श्रेणी के निष्कर्ष दिए: ISRO

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बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान के उपकरणों ने खोज की श्रेणी में रखे जा सकने वाले निष्कर्ष दिए हैं।

 

 

इस अंतरिक्षयान पर आठ वैज्ञानिक उपकरण या सामान ले जाए गए थे। इनमें चंद्रयान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (क्लास), सोलर एक्स-रे मॉनिटर (एक्सएसएम), चंद्र एटमॉस्फेरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर 2 (चास 2), डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार (डीएफएसएआर), इमेजिंग इंफ्रा-रेड स्पेक्ट्रोमीटर (आईआईआरएस) , टेरेन मैपिंग कैमरा (टीएमसी 2), ऑर्बिटर हाई रेजोल्यूशन कैमरा (ओएचआरसी), और डुअल फ़्रीक्वेंसी रेडियो साइंस (डीएफआरएस) प्रयोग उपकरण शामिल हैं।

 

 

 

इस सप्ताह की शुरुआत में, इसरो ने दो दिवसीय चंद्र विज्ञान कार्यशाला और चंद्रयान-2 आंकड़ों का विमोचन के रूप में चंद्र विज्ञान पर अपनी वैज्ञानिक चर्चा देश के लोगों, भारतीय शिक्षाविदों, संस्थानों, छात्रों और सभी विषयों एवं क्षेत्र के लोगों को’’ शामिल करने के लिए शुरू की।

 

 

 

कार्यशाला में चंद्रयान -2 अंतरिक्षयान के चंद्र कक्षा में दो साल पूरे होने का जश्न मनाया गया। कार्यक्रम ऑनलाइन माध्यम में आयोजित किए गए।

 

 

अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) में इसरो के अध्यक्ष एवं सचिव के. सिवन ने कार्यशाला का उद्घाटन किया और वैज्ञानिक समुदाय द्वारा उपयोग के लिए चंद्रयान-2 विज्ञान परिणामों एवं आंकड़ा उत्पादों पर दस्तावेज़ जारी किए।

 

 

 

भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, “चंद्र कार्यशाला ने चंद्रयान -2 द्वारा खोज-वर्ग के कई निष्कर्षों की बड़ी खबर दी।’’
इसने कहा कि मास स्पेक्ट्रोमीटर चेस-2 ने एक ध्रुवीय कक्षीय मंच से चंद्रमा के बाहरी वातावरण की आवेशहीन संरचना का पहला यथास्थान (वहां मौजूद रहकर) अध्ययन करने के अपने प्रयास में, मध्य और उच्च अक्षांशों पर आर्गन-40 की परिवर्तनशीलता का पता लगाया और उसका अध्ययन किया।

 

 

 

क्लास उपकरण द्वारा चंद्रमा की सतह पर क्रोमियम और मैंगनीज की खोज की घोषणा की गई, जो थोड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं।
एक्सएसएम उपकरण द्वारा सूर्य के शांत रहने की अवधि के दौरान उसके माइक्रोफ्लेयर (सूर्य की अचानक तेज चमक) का अवलोकन किया गया जो सूर्य की कोरोना (सूर्य का बाहरी वायुमंडल) की ताप समस्या पर महत्वपूर्ण सुराग प्रदान करते हैं।
इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 ने अपने इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर उपकरण आईआईआरएस की मदद से पहली बार चंद्रमा की जलयोजन विशेषताओं का पता लगाया जिसने चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोक्सिल और पानी की बर्फ के स्पष्ट संकेतों को कैद किया है।

 

 

 

डीएफएसएआर उपकरण चंद्रमा की उपसतह विशेषताओं का अध्ययन कर सकता है और ध्रुवीय क्षेत्रों में चंद्रमा की आकृति संबंधी विशेषताओं का हाई रेजोल्यूशन मानचित्रण करने में सफलता हासिल की।

 

 

 

सिवन ने कहा, “ अवलोकन (चंद्रयान -2 यान उपकरणों के) दिलचस्प वैज्ञानिक परिणाम दे रहे हैं, जिन्हें सहकर्मी-समीक्षित पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जा रहा है और अंतर्राष्ट्रीय बैठकों में भी प्रस्तुत किया जा रहा है।

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आकाश भगत

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